सदाकत आश्रम: आजादी की लड़ाई का गढ़ जहां गढ़ी जा रही है नई रणनीति, जानिए इतिहास

3 weeks ago

Last Updated:September 24, 2025, 09:59 IST

Congress CWC Meeting : पटना का सदाकत आश्रम आज सिर्फ कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक की वजह से चर्चा में नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक लंबा और गौरवशाली इतिहास भी जुड़ा है. यही वह जगह है जहां से आजादी की लड़ाई की कई अहम रणनीतियां बनीं और जहां महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू जैसे नेता घंटों बैठकर स्वतंत्रता संग्राम की रूपरेखा तैयार करते थे. आजादी के बाद यह जगह बिहार कांग्रेस का मुख्यालय बनी और अब कांग्रेस यहां से अपनी नई राजनीतिक यात्रा शुरू करने की तैयारी कर रही है.

 आजादी की लड़ाई का गढ़ जहां गढ़ी जा रही है नई रणनीति, जानिए इतिहाससदाकत आश्रम: स्वतंत्रता संग्राम की गूंज से 2025 कांग्रेस CWC मीटिंग तक

पटना. बिहार की राजधानी पटना में गंगा के किनारे बसे इस प्राचीन सदाकत आश्रम की दीवारें आज भी आजादी के दौर की गूंज को समेटे हुए हैं. जहां महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की चिंगारी सुलगाई थी, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्र निर्माण के सपने बुने थे और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत के भविष्य पर बहसें की थीं… आज वही सदाकत आश्रम एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार है. 1940 में पहली बार यहां कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हुई थी, एक बार फिर 85 साल के बाद यह जगह इतिहास रच रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले यह आयोजन न सिर्फ राजनीतिक रणनीति का केंद्र बनेगा, बल्कि एक दिलचस्प ऐतिहासिक चक्र को भी जीवंत करने वाला साबित हो रहा है.

अरबी शब्द ‘सदाकत’ का अर्थ सच्चाई होता है. 1921 में स्थापित यह आश्रम मौलाना मजहरूल हक ने इसकी स्थापना की थी जो बाद में राष्ट्रीय आंदोलन का मुख्यालय बन गया. मौलाना मजहरूल हक ने 21 एकड़ जमीन दान देकर इस आश्रम की नींव रखवाई थी. इसके बाद तो यह जगह जल्द ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आजादी के मतवालों का ठिकाना बन गई. आजादी के दौर में सदाकत आश्रम सिर्फ एक भवन नहीं था, बल्कि आंदोलन की आत्मा था. दिलचस्प बात यह है कि आश्रम का शिलान्यास खुद महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी ने किया था. गांधीजी यहां कई बार रुके और उन्होंने चरखा कातते हुए स्वदेशी आंदोलन को मजबूत किया.

गांधी और डॉ. राजेंद्र प्रसाद की मौजूदगी

यहां महात्मा गांधी के अतिरिक्त डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, आचार्य कृपलानी और अनगिनत स्वतंत्रता सेनानी जुटते थे. सत्याग्रह, असहयोग और भारत छोड़ो आंदोलन जैसी कई योजनाओं का खाका यहीं से तैयार किया जाता था. यह जगह बिहार ही नहीं पूरे देश के स्वतंत्रता संग्राम का अहम केंद्र बन गई थी. सदाकत आश्रम के आंगन में कई बार महात्मा गांधी ने रात्रि विश्राम किया था. डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी इसी आश्रम से जुड़े रहे. यहां की मिट्टी में आजादी की लड़ाई की गूंज अब भी महसूस की जा सकती है.

भूत और वर्तमान राजनीति का प्रतीक

दरअसल, आजादी मिलने के बाद भी सदाकत आश्रम का महत्व कम नहीं हुआ. यह बिहार कांग्रेस का स्थायी मुख्यालय बना और समय-समय पर बड़ी बैठकों का गवाह रहा. 1970 के दशक में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के समय भी यह जगह चर्चा में रही. आजादी के 75 साल बाद कांग्रेस ने फिर से इस ऐतिहासिक स्थल को अपनी रणनीति का केंद्र बनाया है. आज यहां कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हो रही है, जिसमें 170 से ज्यादा नेता शामिल हैं. कांग्रेस का संदेश साफ है कि वह अपनी पुरानी जड़ों से जुड़कर बिहार की राजनीति में नई जमीन तलाशना चाहती है.

इतिहास खुद को दोहराता है!

आश्रम की दीवारों पर लगे पुराने फोटो और दस्तावेज आज भी उस दौर की ऐतिहासिक घटनाओं को बयां करते हैं. मतलब साफ है कि सदाकत आश्रम सिर्फ ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं है, बल्कि यह भारत की आजादी और लोकतांत्रिक राजनीति का जीता-जागता प्रतीक है. 2025 में सदाकत आश्रम एक बार फिर से चमक रहा है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा, कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक ‘दूसरे स्वतंत्रता संग्राम’ की तैयारी है. आज जब कांग्रेस यहां नई राजनीतिक रणनीति बना रही है तो इसके पीछे इतिहास की वही विरासत खड़ी है जिसने कभी देश को गुलामी से आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.आज एक बार फिर यहां हलचल है मगर सदाकत आश्रम की दीवारें चुपचाप देख रही हैं, जैसे वे कह रही हों – इतिहास खुद को दोहराता है!

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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First Published :

September 24, 2025, 09:59 IST

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