Last Updated:September 20, 2025, 11:54 IST
CUET Exam Pattern: ज्यादातर यूनिवर्सिटी सीयूईटी रिजल्ट के आधार पर ही योग्य स्टूडेंट्स को एडमिशन देती हैं. पिछले काफी समय से सीयूईटी के साथ 12वीं मार्क्स को भी महत्व देने की बात चल रही है.

नई दिल्ली (CUET Exam Pattern). पिछले कुछ सालों में कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट ने उच्च शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव किया है. जहां पहले हर यूनिवर्सिटी की अपनी प्रवेश परीक्षा होती थी, वहीं अब CUET ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों में एडमिशन प्रोसेस को इंटीग्रेट कर दिया है. इस बदलाव के जरिए स्टूडेंट्स को समान अवसर मिलता है. अलग-अलग संस्थान में आवेदन करने और बार-बार परीक्षा देने की जरूरत भी नहीं रहती है.
हालांकि सीयूईटी परीक्षा शुरू से ही सवालों के घेरे में है. लोगों को शक है कि यह स्टूडेंट्स की वास्तविक क्षमता और मेहनत को सही तरह से आंकती भी है या नहीं. अब उच्च शिक्षा विभाग और यूजीसी इस प्रक्रिया को बैलेंस करने पर विचार कर रहे हैं. इसके लिए CUET स्कोर के साथ 12वीं बोर्ड परीक्षा के अंकों को भी वेटेज देने का प्रपोजल आया है. सूत्रों के अनुसार, नई व्यवस्था 2026-27 शैक्षणिक सत्र से लागू हो सकती है.
सीयूईटी मॉडल में क्या बदलाव हो सकता है?
शिक्षा मंत्रालय और एक्सपर्ट बोर्ड रिजल्ट और सीयूईटी मार्क्स के रेशियो पर विचार कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सीयूईटी स्कोर को 70% और बोर्ड परीक्षा को 30% वेटेज दिया जा सकता है. एक अन्य प्रस्ताव 60-40 का भी है. इस मॉडल के जरिए स्टूडेंट्स की बोर्ड परीक्षा में की गई मेहनत को भी आंका जाएगा.
इसके तहत यह भी तय किया जा सकता है कि बोर्ड रिजल्ट की गणना किस आधार पर हो- जैसे बेस्ट ऑफ 4 सब्जेक्ट्स, कुल प्रतिशत या केवल मुख्य विषयों (Language + Core Subjects) के मार्क्स. यूनिवर्सिटीज को भी गणना का आधार चुनने की फ्लेक्सिबिलिटी दी जा सकती है. यह मॉडल जेईई मेन पैटर्न की तरह होगा.
सीयूईटी परीक्षा पैटर्न में बदलाव क्यों जरूरी है?
कोचिंग पर निर्भरता घटेगी- सीयूईटी परीक्षा पूरी तरह से एंट्रेंस-ओरिएंटेड हो गई है. जिन स्टूडेंट्स के पास महंगी कोचिंग की सुविधा नहीं है, वे इसमें पिछड़ जाते हैं. बोर्ड रिजल्ट शामिल करने से सभी स्टूडेंट्स को बराबरी का अवसर मिलेगा. लगातार पढ़ाई का महत्व बढ़ेगा- कई स्टूडेंट्स बोर्ड परीक्षा के बाद CUET पर ही ध्यान केंद्रित कर लेते हैं और स्कूली पढ़ाई को कम अहमियत देते हैं. नई व्यवस्था से वे स्कूल स्तर पर भी मेहनत करेंगे. फायदे में रहेंगे ग्रामीण और छोटे कस्बों के स्टूडेंट्स- जिन छात्रों के पास बड़े शहरों जैसी तैयारी की सुविधाएं नहीं हैं, उन्हें बोर्ड परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन के आधार पर अतिरिक्त मौका मिलेगा. अधिक पारदर्शिता- प्रवेश प्रक्रिया में केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि दो आधारों (बोर्ड और CUET) का इस्तेमाल होगा. इससे मेरिट लिस्ट ज्यादा बैलेंस्ड और पारदर्शी बनेगी.नए परीक्षा पैटर्न के नुकसान
बोर्ड के बीच असमानता- भारत में CBSE, ICSE और विभिन्न राज्य बोर्ड्स के मार्किंग पैटर्न अलग-अलग हैं. कोई बोर्ड मार्क्स को लेकर लीनिएंसी रखता है तो कोई सख्त मूल्यांकन करता है. ऐसे में एक समान वेटेज देना विवाद का कारण बन सकता है. वेटेज तय करने की मुश्किलें- 70-30 या 60-40 अनुपात सभी के लिए उचित होगा या नहीं, इस पर भी बहस हो सकती है. यूनिवर्सिटी की ऑटोनॉमी और केंद्रीय नीति में टकराव की आशंका भी बनी रहेगी. प्रवेश प्रक्रिया में देरी- बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे राज्यों में अलग-अलग समय पर आते हैं. अगर इन्हें CUET के साथ जोड़ना होगा तो प्रवेश प्रक्रिया में देरी हो सकती है. दोहरी तैयारी का दबाव- स्टूडेंट्स को अब न केवल सीयूईटी, बल्कि बोर्ड परीक्षा में भी अच्छे अंक लाने होंगे. यह दबाव कुछ छात्रों के लिए मानसिक चुनौती बन सकता है.नया पैटर्न कब से लागू होगा?
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सीयूईटी परीक्षा पैटर्न में बदलाव जल्दबाजी में लागू नहीं किया जाएगा. फिलहाल विशेषज्ञ समिति राय ले रही है और सभी यूनिवर्सिटी, एजुकएशन बोर्ड्स और छात्र संगठनों से सुझाव लिए जाएंगे. संभावना है कि इसे 2026-27 सत्र से लागू किया जाए. इससे स्टूडेंट्स को पहले से तैयारी का भरपूर समय मिल सकेगा.
Having an experience of more than 10 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle (health, beauty, fashion, travel, astrology, numerology), entertainment and career. She has covered...और पढ़ें
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First Published :
September 20, 2025, 11:54 IST