Last Updated:October 07, 2025, 12:27 IST
Fighter Jet News: JF-17 थंडर फाइटर जेट चीन और पाकिस्तान की साझेदारी से बना है. 4.5 जेनेरेशन के इस फाइटर जेट के लिए पाकिस्तान रूसी जेट इंजन खरीदने की तैयारी कर रहा है. आइए जानते हैं इसका भारत के MiG-29 से क्या कनेक्शन है.

पाकिस्तान का चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट JF-17 थंडर इन दिनों लगातार चर्चा में है. रक्षा हलकों में चर्चा रही कि पाकिस्तान इस चीनी लड़ाकू विमान के लिए रूस से एडवांस्ड जेट इंजन हासिल करने की कोशिश कर रहा है. यह खबर भारत के लिए इसलिए भी चिंता का विषय बनी, क्योंकि रूस दशकों से भारत का अहम रक्षा साझेदार रहा है. हालांकि, सूत्रों ने साफ कर दिया कि रूस पाकिस्तान को नए इंजन नहीं दे रहा, लेकिन इससे यह सवाल जरूर उठा कि पाकिस्तान इस चीनी फाइटर जेट में रूसी इंजन क्यों लगाना चाहता है.
चीनी फाइटर जेट JF-17 थंडर पाकिस्तान में ही तैयार किया जाता है. चीन में इसे FC-1 शियाओलोंग कहा जाता है. इसे पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स (PAC) और चीन की चेंगदू एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (CAC) ने मिलकर विकसित किया था. इसका मकसद था पाकिस्तान की पुरानी हो चुकी विमान बेड़े को कम खर्च में अपग्रेड करना.
यह विमान असल में मल्टीनैशनल इंजीनियरिंग का नतीजा है. इसके अलग-अलग पुर्ज़े रूस, चीन, इटली, तुर्की, ब्रिटेन और पाकिस्तान से आते हैं. चीन जहां डिज़ाइन और एयरफ्रेम का काम देखता है, वहीं इंजन के मामले में रूस पर निर्भरता अब भी बरकरार है.
रूस से क्यों ले रहा है इंजन?
JF-17 के दिल यानी इसके इंजन की बात करें तो इसे रूसी क्लिमोव RD-93 टर्बोफैन इंजन चलाता है. यह इंजन करीब 18,000-20,000 पाउंड-फोर्स थ्रस्ट पैदा करता है और विमान को मैक 1.6 (ध्वनि की गति से 1.6 गुना तेज) की स्पीड तक ले जा सकता है.
रूस के ये इंजन दशकों से भरोसेमंद और बैटल-टेस्टेड माने जाते हैं. 1990 के दशक के आखिर में जब JF-17 का विकास शुरू हुआ, उस समय चीन की घरेलू इंजन टेक्नोलॉजी उतनी परिपक्व नहीं थी कि वह आधुनिक फाइटर जेट को सुरक्षित और भरोसेमंद तरीके से चला सके. ऐसे में पाकिस्तान-चीन ने तय किया कि नए इंजन के रिसर्च पर समय और पैसा खर्च करने के बजाय रूस के तैयार इंजन को ही लिया जाए.
भारत के MiG-29 से कनेक्शन
यहां दिलचस्प पहलू यह है कि भारत के बेड़े में शामिल MiG-29 फाइटर जेट भी RD-33 इंजन परिवार से ही संचालित होता है. यानी पाकिस्तान का JF-17 और भारत का MiG-29 दोनों एक ही इंजन फैमिली की शक्ति पर उड़ान भरते हैं. फर्क इतना है कि MiG-29 में इस इंजन का बेसलाइन वर्ज़न है, जबकि JF-17 में इसका मॉडिफाइड वेरिएंट इस्तेमाल किया जाता है.
JF-17 की कहानी यह दिखाती है कि फाइटर जेट्स का निर्माण आज भी वैश्विक सप्लाई चेन और तकनीकी साझेदारी पर निर्भर है. रूस की इंजन टेक्नोलॉजी के बिना न तो पाकिस्तान और न ही शुरुआती दौर का चीन अपने दम पर ऐसा फाइटर जेट बना सकते थे.
फिलहाल रूस के इंजन पर यह निर्भरता पाकिस्तान के लिए एक बड़ी रणनीतिक चुनौती बनी हुई है. खासकर तब, जब भारत और रूस के बीच दशकों से गहरे रक्षा संबंध रहे हैं.
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First Published :
October 07, 2025, 12:27 IST