Last Updated:August 25, 2025, 16:51 IST
Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव 2025 में एनडीए में नीतीश कुमार के अलावा वो तीन चेहरे कौन होंगे, जो सीएम बने तो हर वर्ग और जाति का समर्थन हासिल कर लेंगे?

पटना. 2025 के चुनाव से पहले बिहार में राजनीतिक चर्चाएं तेज हैं कि एनडीए गठबंधन अगर जीतता है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा? एनडीए नेताओं के बयानों से और नया राजनीतिक समीकरण भी नीतीश कुमार को ही रेस में सबसे आगे कर रखा है. लेकिन अगर किंतु-परंतु के साथ नया सियासी खेल शुरू हुआ तो कुछ अंडर डॉग चेहरे भी बीजेपी कोटे से सीएम की रेस में आगे आ सकते हैं. खास बात यह है कि इसमें राज्य के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा या फिर रविशंकर प्रसाद और नित्यानंद राय जैसे बड़े नाम नहीं हैं. एनडीए में तीन चेहरे ऐसे हैं, जिन पर अभी तक किसी भी जाति या धर्म से बंधकर राजनीति करने का आरोप नहीं लगा है. उन नेताओं या उनकी पार्टी का प्रदर्शन बताता है कि अगर वे सीएम बनते हैं तो दूसरी जातियां हायतौबा नहीं मचाएंगी.
नीतीश कुमार को छोड़ दें तो एनडीए खेमे में कई नाम मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदारों के तौर पर चर्चा में हैं. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि दो प्रमुख चेहरे सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा पर अगर घटक दलों में आम सहमति नहीं बनती है तो कौन होगा एनडीए का नया चेहरा? ऐसे में तीन नाम उभरकर सामने आते हैं, जिनकी स्वीकार्यता सामाजिक, राजनीतिक और जातीय स्तर पर व्यापक हो सकती है. क्योंकि नीतीश कुमार अभी भी राजनीति में हैं तो एक नाम उनका तय है. अगर नीतीश कुमार का स्वास्थ्य साथ देता है तो बिहार के लिए वे सबसे बेहतरीन उम्मीदवार अभी भी हो सकते हैं.
नीतीश को छोड़ दें तो एनडीए में कौन होगा सीएम फेस?
दूसरे नंबर पर बीजेपी के सैयद शाहनवाज हुसैन आ सकते हैं. मुस्लिम होते हुए भी भागलपुर से लोकसभा चुनाव जीतना बताता है कि उन्हें हर वर्ग का नेता बनाता है. शाहनवाज का गैरमुस्लिम वर्ग में अच्छी पैठ उन्हें सीएम बनाने में मददगार साबित हो सकती है. लेकिन उन पर कुछ आरोप और बीजेपी के मौजूदा नेतृत्व से दूरी बाधक बन सकती है. तीसरा नाम चिराग पासवान का हो सकता है, जिनकी राजनीति दलितों के लिए होती है. लेकिन संयोग कहिए उनके ज्यादातर एमपी और एमएलए गैरदलित ही रहे हैं. ऐसे में वे भी सीएम उम्मीदवार के लिए एनडीए की पसंद हो सकते हैं.
सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा नहीं तो कौन?
नीतीश कुमार का नाम बिहार की राजनीति में एक ‘स्टेबल फेस’ के तौर पर दशकों से बना हुआ है. हालांकि वे उम्र और बार-बार पाला बदलने की वजह से आलोचना का शिकार हुए हैं. फिर भी 2025 में अगर एनडीए को एक ऐसा चेहरा चाहिए जिसे हर वर्ग दलित, महादलित, पिछड़ा, अगड़ा, महिला, अल्पसंख्यक कुछ न कुछ भरोसे के साथ देख सके तो नीतीश आज भी सबसे ऊपर हैं. उनका कोइरी-कुर्मी वोट बैंक पर पकड़ और सुशासन बाबू की पुरानी छवि अब भी प्रभावशाली इलाकों में असरदार है. जेडीयू और बीजेपी के बीच बैलेंस बनाने की अद्भुत क्षमता भी नीतीश के पास है. इसके साथ ही महिला मतदाताओं के बीच भी उनकी पकड़ उन्हें फिर से सीएम बना दे तो हैरानी नहीं होगी.
क्या बीजेपी एक मुस्लिम को सीएम बनाएगी?
दूसरी तरफ शहनवाज़ हुसैन अल्पसंख्यक चेहरा हैं और गांव और शहरी दोनों मतदाताओं में पकड़ उन्हें सीएम कुर्सी तक पहुंचा सकती है. शहनवाज़ हुसैन बीजेपी के उन चुनिंदा नेताओं में हैं जो मुस्लिम होने के बावजूद पार्टी के साथ पूरी तरह समर्पित हैं और जिनकी स्वीकार्यता हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में है. वे लंबे समय तक केंद्र में मंत्री रह चुके हैं और संगठन में भी सक्रिय रहे हैं. हालांकि बिहार में मुस्लिम वोटर पहले से ही बीजेपी के खिलाफ हैं. ऐसे में पार्टी उन्हें फ्रंटफेस बनाकर अपने कट्टर वोट बैंक को नाराज़ नहीं करना चाहेगी. लेकिन बीजेपी का मौजूदा नेतृत्व इस तरह का फैसला लेने के लिए जानी जाती है.
चिराग पासवान में कितना दम?
चिराग पासवान बिहार के सबसे युवा और सबसे “ब्रांडेड” चेहरों में से एक हैं. वे न केवल दलित वोट बैंक को रिप्रेजेंट करते हैं, बल्कि शहरी युवाओं में भी उनकी एक साफ-सुथरी, ग्लैमरयुक्त मुद्दा आधारित नेता की छवि है. वर्ष 2020 में एलजेपी के उम्मीदवारों ने जेडीयू को बड़ी चोट पहुंचाई थी, जिससे उनकी राजनीतिक चतुराई भी सामने आई. पासवान जाति में अब भी गहरी पकड़ और युवाओं के पसंद माने जाते हैं. मोदी के प्रति पूर्ण निष्ठा, जिससे बीजेपी नेतृत्व उन्हें तरजीह दे सकता है.
एनडीए के लिए 2025 का चुनाव केवल सत्ता में वापसी की लड़ाई नहीं, बल्कि विश्वसनीय नेतृत्व स्थापित करने की चुनौती भी है. जहां सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा पार्टी के ‘हार्डकोर’ नेताओं के रूप में काम कर रहे हैं, वहीं नीतीश, शाहनवाज और चिराग ऐसे चेहरे हैं जिन्हें राजनीतिक और सामाजिक रूप से हर वर्ग में स्वीकार्यता मिल सकती है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
August 25, 2025, 16:51 IST