Last Updated:December 02, 2025, 18:07 IST
मद्रास हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर दीपस्थंभ पर कार्तिगई दीपम (रोशनी का हिंदू पर्व) जलाने से सिकंदर बादशाह दरगाह के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे. न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने 1920 के प्रिवी काउंसिल के फैसले का हवाला देते हुए पाया कि दीपस्थंभ हिंदू मंदिर की संपत्ति है न कि दरगाह प्रबंधन के अधीन. कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन को तुरंत दीप जलाने का निर्देश दिया और पुलिस को इसका पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया.
कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. नई दिल्ली. मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पवित्र तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी के निचले शिखर पर स्थित दीपस्थंभ (Deepathoon) पर हिंदू त्योहार कार्तिगई दीपम जलाना पास की दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करेगा. बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन की बेंच ने याचिकाकर्ताओं (हिंदू भक्तों) की अपील पर फैसला सुनाते हुए अरुलमिगु सुब्रमनिया स्वामी मंदिर प्रबंधन को निर्देश दिया कि वे मौजूदा स्थान (ऊची पिल्लैय्यर मंडपम) के साथ-साथ इस दीपस्थंभ पर भी दीपक जलाएं.
कार्तिगई दीपम क्या है?
कार्तिगई दीपम तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्योहार है. यह रोशनी का पर्व है, जिसे तमिल महीने कार्तिकै (नवंबर-दिसंबर) में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन घरों और मंदिरों में मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं. यह पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और उनके पुत्र कार्तिकेय (मुरुगन) से जुड़ा है.
दीपस्थंभ मंदिर की संपत्ति है:
कोर्ट ने 1920 के दशक के प्रिवी काउंसिल के फैसले का हवाला देते हुए पाया कि ‘दीपस्थंभ’ जिस क्षेत्र में स्थित है वह दरगाह प्रबंधन के अधीन नहीं है बल्कि हिंदू मंदिर की संपत्ति है. न्यायाधीश ने टिप्पणी की, “दीपस्थंभ निचले शिखर पर है जबकि मस्जिद उच्चतम शिखर पर है हिंदू भगवान सुब्रमनिया निचले शिखर के आधार पर हैं. दीपस्थंभ मुस्लिमों के कब्जे वाला हिस्सा नहीं है.”
अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं
न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने दीप जलाने पर आई आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि “दीपस्थंभ पर दीपक जलाने से दरगाह या मुसलमानों के अधिकार किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होंगे.” उन्होंने कहा कि दरगाह प्रबंधन यह साबित नहीं कर पाया है कि दीपक जलाने से वो कैसे प्रभावित होंगे और यह उनका मामला नहीं है कि ‘दीपस्थंभ’ दरगाह परिसर के अंदर है. इसके विपरीत यदि दीपक नहीं जलाया जाता है तो मंदिर के अधिकारों के जोखिम में पड़ने की संभावना बनी रहेगी.
कोर्ट का निर्देश और पुलिस की भूमिका
कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया, “मैं मंदिर प्रबंधन/देवस्थानम को निर्देश देता हूं कि वे सामान्य स्थानों के अलावा इस साल से दीपस्थंभ पर भी कार्तिगई दीपम जलाएं. यह सुनिश्चित करना संबंधित पुलिस का कर्तव्य है कि कोर्ट के इस निर्देश का पालन हो.”
मंदिर प्रबंधन पर टिप्पणी
कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन की भी आलोचना की कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सतर्क नहीं थे और भक्तों को यह मुद्दा उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने कहा कि मंदिर प्रबंधन को उन परंपराओं को बहाल करना चाहिए जिन्हें छोड़ दिया गया है, बशर्ते कि संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन न हो. न्यायाधीश ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि दीप जलाना पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करता है. उन्होंने कहा कि दीपस्थंभ उस उद्देश्य के लिए ही है और दीपक जलाने से दरगाह की संरचना किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होती क्योंकि दरगाह 50 मीटर से अधिक की सुरक्षित दूरी पर स्थित है.
जज ने खुद किया मंदिर-दरगाह का दौरा
निर्णय सुनाने से पहले न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने पहाड़ी का व्यक्तिगत दौरा भी किया. उन्होंने पाया कि दरगाह तक जाने के रास्ते और दीपस्थंभ तक जाने के रास्ते स्पष्ट रूप से अलग हैं, जो यह दर्शाता है कि दीपस्थंभ मंदिर की भूमि पर है और दरगाह के लिए मान्यता प्राप्त क्षेत्र में नहीं है. पहाड़ी पर स्थित सिकंदर बादशाह दरगाह उच्चतम शिखर पर है, जबकि अरुलमिगु सुब्रमनिया स्वामी मंदिर इसके निचले हिस्से में है. कोर्ट ने इस फैसले से दोनों समुदायों के बीच अधिकारों के संतुलन पर जोर दिया है.
क्या है पूरा विवाद?
यह विवाद तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी हिंदूओं का अरुलमिगु सुब्रमनिया स्वामी मंदिर और मुस्लिम समुदाय की सिकंदर बादशाह दरगाह को लेकर है. दोनों पक्षों के बीच विवाद 1920 के दशक में शुरू हुआ था. साल 1920 में ब्रिटिश भारत की प्रिवी काउंसिल ने फैसला दिया था कि उच्चतम शिखर (दरगाह क्षेत्र), नेल्लीथोपे और दरगाह तक जाने वाली सीढ़ियों पर दरगाह का अधिकार है, जबकि बाकी पहाड़ी मंदिर की संपत्ति है. दरगाह प्रबंधन ने दीपस्थंभ पर दीपक जलाने पर यह आशंका जताते हुए आपत्ति की कि इससे उनके अधिकार प्रभावित होंगे, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया और दीप जलाने की अनुमति दी.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
December 02, 2025, 18:07 IST

55 minutes ago
