श्‍योक टनल: यह सुरंग नहीं दुश्मनों का काल है, LAC पर बदल जाएगा खेल

5 hours ago

Last Updated:December 07, 2025, 09:46 IST

Shyok Tunnel: साल 2020 की गलवान घटना के बाद भारत ने चीन से लगते बॉर्डर इलाकों में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के डेवलपमेंट का काम तेज कर दिया गया है. अरुणाचल प्रदेश से लेकर लेह-लद्दाख तक आधारभूत संरचनाओं का विकास किया जा रहा है. कुछ दिनों पहले ही तवांग में ऑल वेदर टनल को ऑपरेशनल किया गया था. अब लेह के दुर्गम इलाके में सभी मौसम में सुरक्ष‍ित और सुचारू रहने वाली सुरंग का निर्माण किया गया है.

 यह सुरंग नहीं दुश्मनों का काल है, LAC पर बदल जाएगा खेलShyok Tunnel: LAC के समीप श्‍योक टनल के तैयार होने से चीन बॉर्डर तक ऑल वेदर पहुंच बेहद आसान हो जाएगी. इससे आमलोगों का जीवन जहां आसान होगा, वहीं पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की भी संभावना है. (@sidhant के X अकाउंट से साभार)

Shyok Tunnel: भारत की सीमा के एक तरफ पाकिस्‍तान तो दूसरी तरफ चीन जैसा देश मौजूद है. ऐसे में पश्चिम से लेकर पूरब और उत्‍तर तक की सीमाओं को सुरक्षित करना बेहद जरूरी है. इन बॉर्डर एरियाज का अधिकांश इलाका प्राकृतिक रूप से काफी दुर्गम है. दूसरी तरफ, चीन ने सीमा के उस पार इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पर काफ काम करते हुए बहुत से डेवलपमेंट प्रोग्राम को पूरा किया है. साल 2020 के गलवान टकराव के बाद अब भारत ने भी चीन बॉर्डर (LAC) पर मूलभूत सुविधाओं का विस्‍तार करना शुरू कर दिया है. अरुणचल प्रदेश से लेकर लेह-लद्दाख तक हवाई पट्टी और ऑल वेदर रोड का निर्माण किया जा रहा है. इसपर हजारों-लाखों रुपये का निवेश किया जा रहा है. इसी क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार 7 दिसंबर 2025 को लेह में सामरिक तौर पर महत्‍वपूर्ण श्‍योक टनल (Shyok Tunnel)का उद्घाटन करेंगे. यह एलएसी तक ऑल वेदर रोड बनाने की कड़ी का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है.

लेह-लद्दाख में भारत की सीमा सुरक्षा और सेना की आवाजाही को मजबूत करने वाला एक अहम प्रोजेक्‍ट औपचारिक रूप से शुरू हो गया है. पूर्वी लद्दाख में बेहद रणनीतिक मानी जाने वाली श्‍योक टनल के निर्माण से चीन से लगती सीमा की सुरक्षा को बल मिलेगा. इस टनल के शुरू होने से दर्बुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) रोड अब पूरे साल चालू रह सकेगी. डीएस-डीबीओ रोड भारत के लिए सबसे रणनीतिक सड़कों में से एक है, जो लेह से दर्बुक और श्‍योक गांवों होते हुए सीधे दौलत बेग ओल्डी (DBO) तक जाती है. यह सड़क एलएसी के बेहद नजदीक चलती है, इसलिए चीन के साथ तनाव के समय इसका महत्व और बढ़ जाता है. पहाड़ों के ऊंचे दर्रे अकसर सर्दियों में भारी बर्फबारी और एवलांच की वजह से बंद हो जाते हैं. इससे सैनिकों और सामान की सप्‍लाई चेन पर असर पड़ता है। नई श्‍योक टनल इस परेशानी को काफी हद तक दूर कर देगी.

श्‍योक टनल इतना खास क्‍यों?

यह टनल लगभग 982 मीटर लंबी है और कट-एंड-कवर तकनीक से बनाई गई है. यह सड़क के उस हिस्से को बाइपास करती है जो लगातार एवलांच, लैंडस्लाइड और बाढ़ के खतरे में रहता था. टनल के साथ ही श्‍योक नदी पर एक नया मजबूत पुल भी बनाया गया है. पूरा प्रोजेक्ट बीआरओ ने अपने ‘प्रोजेक्ट हिमांक’ के तहत पूरा किया.

श्‍योक टनल इतना अहम क्‍यों?

लेह में श्‍योक टनल के शुरू होने से LAC तक सैनिकों की मूवमेंट आसान हो जाएगी. टनल के शुरू होने से डीएस-डीबीओ रोड अब किसी भी मौसम में चालू रह सकेगी. इससे सैनिकों की तैनाती, हथियारों और जरूरी सामान की सप्‍लाई और सीमा पर चौकसी काफी तेज और सुरक्षित हो जाएगी. यह भारत की चीन सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की तेज कोशिशों का हिस्‍सा है.

श्‍योक टनल क्या है?


श्‍योक टनल लद्दाख में बनी एक रणनीतिक सुरंग है, जो दर्बुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) रोड को हर मौसम में जोड़ने के लिए बनाई गई है. यह सड़क LAC के बेहद करीब जाती है, इसलिए यह सुरंग बेहद अहम मानी जाती है.

यह सुरंग कहां स्थित है?


टनल पूर्वी लद्दाख में श्‍योक नदी क्षेत्र के पास बनाई गई है. यह 322 किलोमीटर लंबी DS-DBO रोड का हिस्सा है, जो भारतीय सेना की सबसे रणनीतिक सप्लाई लाइनों में से एक है.

यह सुरंग क्यों जरूरी थी?


लद्दाख में बर्फ़बारी और भूस्खलन की वजह से सर्दियों में सड़कें अक्सर बंद हो जाती थीं. इससे सीमावर्ती इलाकों में सेना की आवाजाही और सप्लाई प्रभावित होती थी. श्‍योक टनल के बनने से अब यह रास्ता सालभर खुला रहेगा और सेना का लॉजिस्टिक सपोर्ट मजबूत होगा.

DS-DBO रोड इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?


यह सड़क दौलत बेग ओल्डी तक जाती है, जहां दुनिया का सबसे ऊंचा सैन्य हवाई अड्डा स्थित है. यह क्षेत्र LAC के बेहद करीब है, इसलिए यहां तक तेज़ और सुरक्षित पहुंच सेना के लिए जरूरी है.

आवागमन पर क्‍या पड़ेगा असर?

बता दें कि डीएस-डीबीओ रोड पुराने जमिस्‍तान ट्रेड रूट पर बनी है, जो कभी लेह और यारकंद के बीच सर्दियों के व्यापार के लिए उपयोग होता था. आधुनिक सड़क का निर्माण कई दशक चला. पहले इसका कुछ हिस्सा नदी के तल पर बनाया गया था, लेकिन बाद में 2011 के बाद इसे सुरक्षित जगह पर री-अलाइन किया गया. आज के दिन यह सड़क लेह से डीबीओ की दूरी को दो दिन से घटाकर सिर्फ छह घंटे कर देती है. श्‍योक टनल न केवल लद्दाख के लोगों के लिए राहत लेकर आई है, बल्कि भारत की सामरिक तैयारी को भी बड़ी मजबूती देती है. सीमा से सटे इलाकों में सुरक्षित, तेज और भरोसेमंद कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना भारत की प्राथमिकता है और यह टनल उसी दिशा में एक बड़ा कदम है.

About the Author

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

December 07, 2025, 08:44 IST

homenation

श्‍योक टनल: यह सुरंग नहीं दुश्मनों का काल है, LAC पर बदल जाएगा खेल

Read Full Article at Source