Last Updated:November 14, 2025, 14:43 IST
Bihar Chunav Result Congress Performance: बिहार चुनाव 2025 में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा. 61 सीटों पर मुकाबले में उतरी पार्टी सिर्फ 4 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. “वोट चोरी” कैंपेन, संगठन की गिरावट और महागठबंधन में तालमेल की कमी ने कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया. सीमांचल, मिथिला और मगध में परंपरागत पकड़ भी कमजोर पड़ गई है.
रुझानों ने कांग्रेस के लिए गंभीर चिंता की स्थिति पैदा कर दी है. नई दिल्ली: बिहार चुनाव के नतीजे आ रहे हैं. रुझानों में NDA की सरकार बन रही है. जहां भारती जनता पार्टी और JDU का जबरदस्त प्रदर्शन रहा है. वहीं कांग्रेस जिन 61 सीटों पर उतरी, वहां RJD या अन्य सहयोगी दलों की तुलना में पार्टी की जमीनी उपस्थिति कमजोर दिखी. कई सीटों पर महागठबंधन उम्मीदवारों के बीच ऊर्जा, तालमेल और संदेश तीनों में तालमेल की कमी साफ देखी गईं.
रुझानों ने कांग्रेस के लिए गंभीर चिंता की स्थिति पैदा कर दी है. 61 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस सिर्फ 4 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है-यानी महज 6.5% कन्वर्जन रेट, जबकि 2020 में यही पार्टी 70 सीटों में से 27 सीटें जीतकर 38% का प्रदर्शन कर चुकी थी. यह गिरावट सिर्फ संख्या का मामला नहीं बल्कि संगठन, रणनीति और राजनीतिक पकड़ में आई कमजोरी की गहरी परतों को उजागर करती है.
कांग्रेस का 2020 बनाम 2025 बिहार चुनावी प्रदर्शन
| 2020 | 70 | 19 | — | 27 | 38% | मजबूत लेकिन सीमित प्रभाव |
| 2025 (रुझान) | 61 | 0 | 4 | 4 | 6.5% | भारी गिरावट, संगठनात्मक कमजोरी उजागर |
क्या दर्शाती है यह तुलना?
कांग्रेस ने 2020 की तुलना में 2025 में 10 सीटें कम लड़ीं, लेकिन प्रदर्शन और भी कमजोर हुआ.
2020 में जहां कांग्रेस 27 सीटों पर प्रभावी रही, वहीं इस बार सिर्फ 4 सीटों पर असर दिख पाया.
कन्वर्जन रेट 38% से गिरकर 6.5% पर आ गया. यानी औंधे मुंह गिरावट.
पार्टी पहले जहां RJD का मुख्य सहयोगी स्तंभ मानी जाती थी, अब महागठबंधन में भी हाशिए पर पहुंचती दिख रही है.
इस बार कांग्रेस ने “वोट चोरी”, मतदाता सूची संशोधन (Special Intensive Revision) और वोटर अधिकार यात्रा जैसे आक्रामक कैंपेन चलाए, लेकिन इन मुद्दों का चुनावी असर जमीन पर बहुत कम दिखाई दिया. वहीं उसके सहयोगी RJD ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए महागठबंधन की रीढ़ बनने का काम किया. सवाल यह है कि महागठबंधन के भीतर तालमेल की कमी थी, रणनीति में चूक हुई या फिर “वोट चोरी” जैसे नैरेटिव ने उलटा नुकसान पहुंचा दिया?
कांग्रेस की गिरावट की वजहें- गहराई से समझें
एक समय बिहार की बड़ी शक्ति रही कांग्रेस अब लगातार सिमटती जा रही है. सीमांचल, मिथिला और मगध जहां पार्टी की परंपरागत पकड़ थी अब वहां भी रुझान पार्टी के लिए उत्साहजनक नहीं हैं. कई सीटों पर कांग्रेस तीसरे या चौथे नंबर पर खिसक गई है. इसके साथ ही भाजपा के उभार और जेडीयू की मजबूती ने कांग्रेस की जमीन और कमजोर कर दी है.
कांग्रेस की मुश्किलें
सीमांचल, मिथिला और मगध जैसे पारंपरिक इलाकों में पकड़ कमजोर 2024 के मुकाबले संगठनात्मक ढांचे में गिरावट उम्मीदवार चयन में पुराने फॉर्मूले, नए चेहरे नहीं स्थानीय मुद्दों की तुलना में राष्ट्रीय मुद्दों पर ज़ोर “वोट चोरी” कैंपेन ने भ्रम तो फैलाया, पर भरोसा नहीं जीत पाया क्या ‘वोट चोरी’ नैरेटिव उलटा पड़ा? क्या ‘वोट चोरी’ नैरेटिव उलटा पड़ा?कांग्रेस ने चुनाव आयोग और केंद्र पर “वोट चोरी” का आरोप लगाया था. लेकिन रुझान बताते हैं कि यह नैरेटिव बिहार के ग्रामीण और अर्ध-शहरी वोटरों में उतना प्रभावी नहीं रहा. स्थानीय मुद्दे सड़क, स्वास्थ्य, रोजगार, जातीय समीकरण इनकी प्राथमिकताओं में कहीं ऊपर थे.
RJD के उभार ने भी कांग्रेस की जमीन खिसकाई
RJD का वोट बैंक, संगठन और नेतृत्व क्षमता महागठबंधन के भीतर कांग्रेस से कहीं मजबूत साबित हुई. कई इलाकों में RJD की रणनीति ने कांग्रेस के हिस्से का वोट अपनी ओर खींच लिया.
कांग्रेस का आगे का रास्ता
कांग्रेस को बिहार में फिर से जमीन हासिल करने के लिए युवा नेतृत्व, संगठनात्मक सुधार, नए उम्मीदवार और स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित चुनाव रणनीति अपनानी होगी. राष्ट्रीय नैरेटिव पर निर्भर रहने से जमीन पर वोटों की वापसी मुश्किल है.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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First Published :
November 14, 2025, 14:43 IST

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