राजभवन का नाम क्यों हुआ लोकभवन, ब्रिटिश राज में कहे जाते थे गर्वनर हाउस

1 hour ago

ब्रिटिश राज के दौरान राज्यों में तैनात गर्वनर्स के आवास को गर्वनर हाउस कहा जाता था. आजादी के बाद इन्हें राजभवन कहा जाने लगा. किसने इन्हें राजभवन का नाम दिया था. फिर अब इन राजभवनों के नाम क्यों लोकभवन किए जा रहे हैं. इस बदलाव में क्या क्या बदलेगा. साथ ही ये भी जानें कि किसके आदेश पर ये बदलाव हो रहा है. राज्य सरकारों की इसमें क्या भूमिका है. हालांकि कहा ये जाता है कि आजादी के बाद पहले गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने इनका नाम राजभवन रखा, लेकिन इसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता.

सवाल – राज्यपालों के सरकारी आवास का नाम राजभवन से बदलकर लोकभवन क्यों किया जा रहा है?

– भारत में राज्यपाल के राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन किया जा रहा है. इस बदलाव का मुख्य कारण राजभवन को जनता के करीब लाना है. केंद्र सरकार का कहना है कि राजभवन से कोलोनियल प्रतिध्वनि जाहिर होती है. सरकार चाहती है कि ये भवन आम जनता के लिए खुला और मानवीय बने. इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल से हुई है, जहां कोलकाता और दार्जिलिंग के राजभवन का नाम लोकभवन में बदल दिया गया. इसे सरकार के गृह मंत्रालय के निर्देश और देश के राज्यपाल सम्मेलन की सिफारिशों के आधार पर पूरे देश में लागू किया गया है. दूसरे राज्यों में भी राजभवन का नाम अब लोकभवन हो जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 नवंबर 2025 को इस आशक का निर्देश जारी किया था.

सवाल – कितने राज्यों में अब तक राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन किया जा चुका है? 

– आठ राज्यों ने अब तक ऐसा कर दिया है. हालांकि ये प्रक्रिया देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जाएगी. जिन राज्यों ने इसे लागू कर दिया है, वो इस तरह हैं
– पश्चिम बंगाल (कोलकाता और दार्जिलिंग राजभवन)​
– तमिलनाडु​
– केरल​
– असम​
– उत्तराखंड (देहरादून और नैनीताल)​
– ओडिशा​
– गुजरात​
– त्रिपुरा​
इसके अलावा, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में उपराज्यपाल के राज निवास का नाम लोक निवास कर दिया गया है. शेष राज्यों में प्रक्रिया चल रही है.

सवाल – ये नाम बदलना राज्यों के राज्यपालों का अधिकार क्षेत्र है या राज्य सरकारों का?

– राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन करने का अधिकार राज्यपाल या राज्य सरकार के पास नहीं है, बल्कि ये फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिया है. हर राज्य में इसे लागू राज्यपाल ही कर रहे हैं लेकिन इसका निर्देश केंद्र सरकार का ही है. राज्यों का इसमें अधिकार नहीं है.

सवाल – राजभवन का नाम बदलने का क्या संविधान में कोई प्रावधान है?

– नहीं ऐसा कुछ नहीं है. भारतीय संविधान में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं दी है. ये एक प्रशासनिक निर्णय है. जो केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के निर्देशों पर आधारित है, न कि संवैधानिक अनुच्छेद पर.

इसमें राज्यपाल राष्ट्रपति से अनुमति लेकर या गृह मंत्रालय के 25 नवंबर 2025 के आदेश के अनुपालन में अधिसूचना जारी करते हैं, जिससे नाम तत्काल प्रभाव से बदल जाता है. ये केंद्रीय कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र है, क्योंकि राज्यपाल केंद्र द्वारा नियुक्त होते हैं. भवनों के नाम बदलने का कोई प्रावधान संविधान में नहीं है.

सवाल – क्या भारतीय संविधान में इन्हें राजभवन या गर्वनर्स हाउस के तौर पर उल्लेख किया गया है?

– नहीं, भारतीय संविधान में इन्हें “राजभवन” के रूप में नहीं, बल्कि “राज्यपाल का आधिकारिक निवास” के तौर पर कहा गया है. भवन का नाम जरूर बदल रहा है लेकिन राज्यपाल के पद का नाम वही रहेगा, क्योंकि संविधान में इसी पदनाम की व्यवस्था है, जिसे अंग्रेजी में अब भी गर्वनर ही कहा जाएगा.

सवाल – क्या इस नाम बदलाव के लिए राज्य विधानसभाओं की सहमति भी जरूरी है? 

– राज्य विधानसभाओं की कोई सहमति या अनुमति राजभवन के नाम बदलने के लिए जरूरी नहीं है. ये पूरी तरह से केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय का प्रशासनिक निर्णय है, जिसे राज्यपाल अधिसूचना जारी कर लागू करते हैं. राजभवन जिसे अब लोकभवन कहा जाएगा, वो राज्य विधानसभा का अधिकार क्षेत्र नहीं है बल्कि राजभवन केंद्र सरकार की संपत्ति है.

सवाल – अगर कोई राज्यपाल ऐसा नहीं करे यानि नाम नहीं बदले तो क्या होगा?

– तो इसे केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के 25 नवंबर 2025 के निर्देश का उल्लंघन माना जाएगा, जो सभी राज्यपालों पर बाध्यकारी है. इसलिए गृह मंत्रालय स्पष्टीकरण मांग सकता है और इसे लागू करने के लिए दबाव डालेगा. ऐसी स्थिति में गृह मंत्रालय राष्ट्रपति की मंजूरी से राज्यपाल को हटाने या स्थानांतरित करने का सुझाव भी दे सकता है, जैसा अन्य विवादों में हुआ है. बेशक इस फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकती है. हालांकि अब तक इससे किसी राज्यपाल ने इनकार नहीं किया है.

सवाल – इस फैसले को केंद्र सरकार ने संसद में क्यों नहीं पास कराया, सीधे लागू क्यों कर दिया?

– राजभवन के नाम बदलने के फैसले को केंद्र सरकार ने संसद में विधायिका प्रक्रिया के तहत नहीं लाकर इसलिए सीधे लागू किया क्योंकि यह नाम परिवर्तन संवैधानिक या विधायी बदलाव नहीं है. यह एक प्रशासनिक निर्देश है, जो कि केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी किया गया और राज्यों के राज्यपालों द्वारा लागू किया गया है.

राजभवन का नाम बदलना किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के नाम परिवर्तन जैसा संवैधानिक मामला नहीं है, इसलिए इसे संसद के किसी बिल या कानून के माध्यम से पारित करने की जरूरत नहीं पड़ी.

सवाल – क्या आजादी के बाद गर्वनर हाउस के नाम को राजभवन करने का काम पहले गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने किया था?

– ऐसा कहा जरूर जाता है लेकिन कोई रिकॉर्ड या दस्तावेज इसकी पुष्टि नहीं करता. हालांकि ये बात सही है कि आजादी के बाद धीरे धीरे गर्वनर हाउस को राजभवन कहा जाने लगा. सरकारी गजट या नोटिफिकेशन में भी इसका उल्लेख नहीं मिलता.

सवाल – राजभवन के नाम को लोकभवन करने पर क्या – क्या बदलाव होंगे और क्या खर्च आएगा?

– राजभवन के सभी सूचनापट, फलक, बोर्ड आदि पर नए नाम “लोकभवन” की तख्तियां लगानी होंगी.
– सरकारी दस्तावेज, वेबसाइट, विजिटिंग कार्ड, गर्वनमेंट कम्युनिकेशन आदि में भी नाम अपडेट करना होगा.
– नए संकेतक, लोगो या प्रतीकों का प्रयोग भी हो सकता है.
जहां तक आर्थिक खर्च की बात है तो इस पर मामूली खर्च ही आएगा, जो सरकार के सामान्य खर्च में शामिल होगा.

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