Last Updated:November 14, 2025, 09:03 IST
Rajgir Chunav Result 2025: बिहार चुनाव 2025 का आज परिणाम आने वाला है. राजगीर सीट पर वोटों की गिनती शुरू हो गई है. सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले की राजगीर सुरक्षित सीट पर इस बार भी सबकी नजर है. बीजेपी के जेडीयू कौशल किशोर का मुकाबला सीपीआईएमल के विश्वनाथ चौधरी से हो रहा है. राजगीर सीट पर काउंटिग पल-पल रिपोर्ट आपको NEWS18 इंडिया के साथ मिलता रहेगा.
राजगीर सुरक्षित सीट पर किसका कब्जा होगा?पटना. भगवान बुद्ध और जैन धर्म से जुड़ी ऐतिहासिक नगरी नालंदा जिले की राजगीर (सुरक्षित) विधानसभा सीट इस बार भी काफी चर्चा में है. यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है. इस सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है. अब यह देखना रोचक होगा कि क्या मौजूदा विधायक लगातार जीत न पाने के इस सीट के ‘अभिशाप’ को तोड़ पाते हैं या नहीं. जेडीयू ने वर्तमान विधायक कौशल किशोर को मैदान में उतारा है. कौशल किशोर 2020 के चुनाव में यहां से जीतकर विधायक बने थे. इस बार भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है.
राजगीर 1957 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया था और इसे अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित किया गया. अब तक राजगीर में 16 बार चुनाव हो चुके हैं और यह सीट भाजपा के बारे में यह धारणा तोड़ती है कि यह केवल सवर्णों की पार्टी है. भाजपा ने यहां नौ बार जीत दर्ज की है, जिसमें दो बार भारतीय जनसंघ के रूप में भी शामिल है. कांग्रेस, सीपीआई और जेडीयू ने दो-दो बार और जनता पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की है.
साल 2020 के चुनाव में इस सीट पर 2,94,082 वोटर थे, जो 2024 लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,10,086 हो गए. अनुसूचित जाति के मतदाता यहां 25.12% हैं, जिससे सीट की आरक्षण स्थिति न्यायसंगत बनी रहती है. मुस्लिम मतदाता 6.5% और शहरी मतदाता केवल 16.3% हैं, जिससे यह क्षेत्र ग्रामीण बना हुआ है.
भाजपा के सत्यदेव नारायण आर्य, जो आगे चलकर त्रिपुरा और हरियाणा के राज्यपाल बने, ने यहां से आठ बार जीत दर्ज की थी, जिसमें 1977 का जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव भी शामिल है. 2015 में उनकी हार हुई जब जेडीयू के रवि ज्योति कुमार ने उन्हें 5,390 वोटों से हराया. बाद में जब भाजपा और जेडीयू ने गठबंधन किया तो 2020 में जेडीयू के कौशल किशोर ने कांग्रेस में जा चुके रवि ज्योति कुमार को 16,048 वोटों से पराजित किया.
महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ रहे सीपीआईएमएल के विश्वनाथ चौधरी से कौशल किशोर का इस बार कड़ा मुकाबला मिला है. पहले इस सीट पर आरजेडी के अर्जुन ठाकुर को टिकट दिया था, लेकिन बाद में सीपीआईएमल के लिए यह सीट छोड़ दी गई. मुस्लिम-यादव समीकरण के साथ दलित वोटों को जोड़कर सीपीआईएमल इस बार जीत हासिल करने की उम्मीद में है.
लगातार जीत का ‘अभिशाप’
राजगीर सीट का सबसे बड़ा चुनावी इतिहास यह है कि 1977 के बाद से कोई भी उम्मीदवार लगातार तीन बार यहां से चुनाव नहीं जीत पाया है. इससे पता चलता है कि यहां मतदाताओं में ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ का रुझान गहरा है. राम बालक पासवान पहले दो बार 2010 और 2015 में इस सीट से विधायक थे. हालांकि, 2020 में तीसरी बार लगातार जीतने की कोशिश में वह हार गए, जिससे यह ‘रिकॉर्ड’ बरकरार रहा.
इस सीट पर एनडीए का प्रभाव हमेशा रहा है. 1990 से लेकर 2020 तक सिर्फ एक बार 2000 में आरजेडी को छोड़कर यह सीट जनता दल या जेडीयू के कब्जे में रही है. कौशल किशोर के लिए यह चुनाव सिर्फ महागठबंधन के खिलाफ नहीं, बल्कि इस सीट के 45 साल पुराने ‘लगातार जीत न पाने के रिकॉर्ड’ को तोड़ने की चुनौती भी है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
November 14, 2025, 07:49 IST

3 hours ago
