Last Updated:November 14, 2025, 14:08 IST
Bihar Chunav Result : बिहार चुनाव 2025 के नतीजे सिर्फ जीत-हार की कहानी नहीं कह रहे, बल्कि वे एक और संकेत दे रहे हैं कि महागठबंधन की सबसे कमजोर कड़ी कौन रही? दरअसल, आरजेडी का ग्राफ आधे से भी नीचे पहुंच गया, लेकिन कांग्रेस तो लगभग जमीन से गायब ही हो गई. सीटें कम होना एक बात है, लेकिन चुनाव के दौरान जिस तरह तालमेल टूटा, संवाद थमा और नेतृत्व गायब दिखा... उसने तेजस्वी यादव की पूरी रणनीति को भारी नुकसान पहुंचाया.
कांग्रेस की कमजोरी से बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन को नुकसानपटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने एक बात साफ कर दी कि महागठबंधन के भीतर कांग्रेस अब एक सहयोगी से ज्यादा ‘बैगेज’ बन चुकी है. इस बार के नतीजों में कांग्रेस सिर्फ चार सीटें जीतती लग रही है, जबकि पिछली बार उसके पास 19 सीटें थीं. यह गिरावट सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं बल्कि उस राजनीतिक दूरी और रणनीतिक कमी का परिणाम है जो चुनाव अभियान की शुरुआत से ही नजर आने लगी थी. जानकार कहते हैं कि चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर आरजेडी और कांग्रेस के बीच लंबा तनाव रहा. कई दौर की बातचीत के बाद भी समझौते में कड़वाहट साफ दिखी. तेजस्वी यादव खुले तौर पर गठबंधन को मजबूत रखना चाहते थे, पर कांग्रेस लगातार अधिक सीटों की मांग पर अड़ी रही, जबकि उसके जीत का ट्रैक रिकॉर्ड बेहद कमजोर था. नतीजा यह हुआ कि गठबंधन बनने से पहले ही भरोसा कमजोर हो गया.
कांग्रेस महागठबंधन पर बोझ क्यों बन गई?
दूसरी तरफ, कांग्रेस अपने अंदरूनी नेतृत्व संकट से भी जूझती रही. राहुल गांधी का लंबी विदेश यात्रा पर जाना, फिर महीनों तक तेजस्वी यादव से बातचीत न होना, दोनों दलों के बीच दूरी को और गहरा कर गया. चुनाव अभियान के दौरान गठबंधन के शीर्ष नेताओं के बीच तालमेल लगभग न के बराबर रहा. तेजस्वी अकेले मोर्चा संभालते रहे, लेकिन कांग्रेस का संगठन और नेतृत्व जमीन पर बेहद कमजोर पाया गया. चुनाव प्रचार में कांग्रेस न सिर्फ देर से उतरी बल्कि उसके मुद्दे भी मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर पाए. राहुल गांधी की वापसी के तुरंत बाद वोट चोरी का मुद्दा उठाना कांग्रेस के लिए उल्टा पड़ गया. बिहार का जनमानस रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास जैसे ठोस मुद्दों पर चर्चा चाहता था. ऐसे में ‘वोट चोरी’ जैसे आरोप जनता से जुड़ नहीं सके और महागठबंधन के संदेश को और कमजोर कर गए.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की कमजोर स्थिति महागठबंधन के लिए भारी पड़ी.
कांग्रेस की नाकामी या तालमेल की कमी?
इसके विपरीत, एनडीए ने स्थिरता, सुशासन और विकास का नैरेटिव लगातार आगे बढ़ाया. पीएम मोदी और नीतीश कुमार की संयुक्त रैलियों ने माहौल बदल दिया. लालू प्रसाद यादव के ‘जंगलराज’ की याद फिर उछली. महागठबंधन को इसमें सबसे ज्यादा नुकसान यह लगा कि कांग्रेस इस नैरेटिव को काटने में न तो सक्षम दिखी और न ही सक्रिय. वह मैदान में कहीं नजर ही नहीं आई. आरजेडी नेताओं के भीतर भी यह चर्चा लंबे समय से थी कि कांग्रेस के साथ गठबंधन में मिलने वाले लाभ से ज्यादा नुकसान है. सीट शेयरिंग में कांग्रेस बड़ी हिस्सेदारी मांगती है, लेकिन चुनाव नतीजों में उसका योगदान सीमित ही रहता है. इस बार तो कांग्रेस की स्थिति इतनी कमजोर रही कि कुछ क्षेत्रों में वह एआईएमआईएम से भी पीछे नजर आई.
आरजेडी की चुनावी चाल बिगाड़ गई कांग्रेस?
फ्रेंडली फाइट भी महागठबंधन को भारी पड़ी. कई सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी एक-दूसरे को अनौपचारिक रूप से काटते रहे, जिससे एनडीए को सीधा फायदा मिला. यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब साझेदार खुद ही एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने लगे. अंतिम हफ्तों में तेजस्वी यादव की राजनीतिक शैली पर भी सवाल उठे और कांग्रेस इन सवालों के बीच अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करती रही. इस चुनाव में जहां आरजेडी ने करीब 23 प्रतिशत मत पाए, वहीं कांग्रेस केवल आठ प्रतिशत ही ले पाई. महागठबंधन एक साझा नेतृत्व और साझा संदेश तैयार नहीं कर सका. कांग्रेस इसमें तड़क-भड़क लेकर आई, लेकिन राजनीतिक जमीन पर मजबूती नहीं दिखा पाई.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...
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First Published :
November 14, 2025, 14:08 IST

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