Last Updated:November 02, 2025, 11:04 IST
Rafale Fighter Jet Deal: इंडियन एयरफोर्स फाइटर जेट्स की कमी से जूझ रही है. इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन, इस कमी को पूरा करने का कोई सीधा सुगम तरीका किसी के पास नहीं है. एयरफोर्स एक बार फिर राफेल खरीदने को कह रही है लेकिन सौदे की पेचीदगियों और भारी खर्च ने कई सवाल खड़े किए हैं. ऐसे में क्या अब समय आ गया है कि राफेल सौदे को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए.
फ्रांस से 114 राफेल विमानों की खरीद का प्र्स्ताव है. Rafale Fighter Jet Deal: इसमें कोई दे राय नहीं है कि भारतीय वायु सेना इस वक्त लड़ाकू विमानों की भारी कमी से जूझ रही है. इस कारण सेना की मारक क्षमता पर भी असर पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है. एयरफोर्स को फाइटर जेट्स की 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है लेकिन इस वक्त केवल 31 स्क्वाड्रन बचे हैं. एयरफोर्स भी बार-बार इस बात को उठाती रही है कि उसे जल्द से जल्द फाइटर जेट्स चाहिए लेकिन हालात ही कुछ ऐसे बन रहे हैं कि मामला टलता जा रहा है.
बीते दिनों एयरफोर्स ने एक बार फिर सरकार के पास 114 राफेल विमानों का प्रस्ताव भेजा था. राफेल मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट है. लेकिन, सरकार ने अब इस प्रस्ताव को फिर से सेना के पास वापस भेज दिया है. सरकार ने इस प्रस्ताव को और डिटेल में तैयार करने को कहा है. रिपोर्ट के मुताबिक यह प्रस्ताव दो लाख करोड़ रुपये से अधिक का है. सरकार की योजना राफेल बनाने वाली कंपनी के साथ ऐसी डील करने की है ताकि वह इस विमान का ज्यादा से ज्यादा पार्ट्स भारत में बनाए. सरकार टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बात कर रही है. लेकिन, जानकारों का कहना है कि अब राफेल खरीदने का समय हाथ से निकलते जा रहा है. उन्होंने सचेत किया है कि अगर अगले कुछ माह में इस डील पर सरकार और सेना आगे नहीं बढ़ती तो फिर इसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
दरअसल, डिफेंस वेबसाइट idrw ने इसको लेकर एक रिपोर्ट छापी है. इसमें हाल ही में एयरफोर्स से रिटायर हुए एक सीनियर अधिकारी के हवाले से लिखा गया है कि राफेल डील को पूरा करने का समय तेजी से हाथ से निकल रहा है. एक बार देसी फाइटर जेट तेजस एमके-2 और AMCA के गति पकड़ लेने के बाद राफेल की जरूरत को जस्टिफाइ करना मुश्किल हो जाएगा.
तेजस एमके-2 देसी 4.5 पीढ़ी का फाइटर जेट है. इस पर तेजी से काम चल रहा है. इसका प्रोटोटाइप उड़ान अगले साल के मध्य तक पूरा किया जाएगा. इसकी पहली उड़ान 2027 में होनी है. वर्ष 2029-30 से इसका सीरियल प्रोडक्शन होना है. इसमें एडवांस एवियॉनिक्स और उत्तर AESA रडार लगाए जाएंगे. इस तरह राफेल की तहत 4.5 फीढ़ी का फाइटर जेट बनकर तैयार होगा. इससे पहले भारत एक अन्य देसी फाइटर जेट तेजस एमके-1 का प्रोडक्शन शुरू कर चुका है. अगले कुछ दिनों इसकी पहली खेप एयरफोर्स को सौंपने की तैयारी चल रही है. भारत अपनी पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट AMCA पर भी तेजी से काम कर रहा है. इसका प्रोटोटाइप 2030 तक पूरा करने की योजना है. फिर इसकी ट्रायल उड़ान चलेगी और 2035 तक इसको सेना के हवाले किया जा सकता है.
दूसरी तरफ राफेल की बात करें तो भारत ने फ्रांस से इसके लिए अब तक दो डील की है. एयरफोर्स के लिए 36 विमान खरीदने के बाद नेवी के लिए 29 विमान खरीदे जा रहे हैं. लेकिन, एक्सपर्ट अब तीसरे डील को लेकर कई सवाल कर रहे हैं. उनका कहना है कि राफेल एक शानदार फाइटर जेट होने के साथ-साथ एक बहुत ही महंगा सौदा भी है. दूसरी तरफ अगर आज फ्रांस से डील साइन होती है सप्लाई शुरू होने में कम से कम तीन साल का समय लगेगा. लेकिन, तुरंत डील साइन होने की कोई संभावना नहीं दिख रही है क्योंकि भारत सरकार इसके लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और लोकल प्रोडक्शन पर जोर दे रही है. इस में डील की बारीकियों पर चर्चा करने और उसको अंतिम रूप देने में काफी समय लगता है. दूसरी तरफ भारत का अपना 4.5 जेन फाइटर जेट तेजस एमके-2 का प्रोडक्शन भी तीन से चार साल में शुरू होने की संभावना है. यानी राफेल के लिए सौदा होने के बाद भी उसकी सप्लाई भी उसी समय होगी जब देसी फाइटर जेट की भी सप्लाई शुरू हो सकती है. एक्सपर्ट इसी मुद्दे को लेकर चिंतित है.
दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय स्थिति भी काफी उलझाऊ है. भारत की फाइटर जेट की जरूरत को देखते हुए रूस भी भारत को फाइटर जेट बेचना चाहता है. वह अपनी 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट SU-57E देना चाहता है. इसके लिए वह भारत की हर शर्त मानने को तैयार है. रूस ने पहले ही 100 टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बात कही है. ऐसे में भारत के लिए इस ऑफर को खारिज करना भी आसान नहीं है.
ऐसे में भारत के सामने एक ही रास्ता बचता है कि वह अपने देसी फाइटर प्रोग्राम में तेजी आए. इसके लिए सरकार ने एचएएल पर दबाव बढ़ा दिया है. एचएएल भी अपने काम के तरीके को बदला है. उसने फ्यूजर के फाइटर जेट्स में बड़ी संख्या में प्राइवेट प्लेयर को शामिल किया है. सभी की कोशिश देश में जल्द से जल्द फाइटर जेट प्रोडक्शन के लिए एक मुक्कमल इको सिस्टम बनाने की है. एक बार सिस्मट बनने के बाद प्रोडक्शन को रफ्तार मिल जाएगी. इन तमाम परिस्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि राफेल की तीसरी डील अब लटक सकती है.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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First Published :
November 02, 2025, 11:04 IST

6 hours ago
