Last Updated:November 12, 2025, 11:59 IST
PETN in Delhi blast: दिल्ली लालकिला ब्लास्ट में अमोनियम नाइट्रेट के साथ पेंटाएरिथ्रॉल टेट्रानाइट्रेट (PETN) के इस्तेमाल का शक जांच एजेंसियां जता रही हैं. क्या है यह पीईटीएल विस्फोटक, जानने के लिए पढ़ें आगे...
दिल्ली लालकिला ब्लास्ट में जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए खुलासे हो रहे हैं. (फाइल फोटो)PETN in Delhi blast: दिल्ली में लालकिला के सामने हुए ब्लास्ट की जांच में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. नया चौंकाने वाला खुलासा पेंटाएरिथ्रॉल टेट्रानाइट्रेट (PETN) को लेकर हुआ है. मामले की जांच कर रही एजेंसियों को अब शक है कि ब्लास्ट में अमोनियम नाइट्रेट के साथ पीईएनटी का भी इस्तेमाल हुआ है. इस खुलासे ने जांच एजेंसियों के माथे पर चिंता की इसलिए भी बढ़ा दी हैं, क्योंकि इसकी गिनती मिलिट्री ग्रेड के एक्सप्लोसिव्स में होती है. इसके अलावा, इसका एक्सप्लोजन पॉवर अन्य विस्फोटकों से बहुत अधिक है.
सूत्रों के अनुसार, पेंटाएरिथ्रॉल टेट्रानाइट्रेट (PETN) नामक इस एक्सप्लोसिव का डिटेक्शन बेहद मुश्किल माना जाता है. हालांकि दिल्ली पुलिस के लिए इसकी पहचान कोई नई नहीं है. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पहले भी अलग-अलग मामलों में इस केमिकल को रिकवर किया है. लेकिन राजधानी में इसका फिर से इस्तेमाल कई बड़े सवाल खड़े किए हैं. सवाल यह है कि आखिर यह केमिकल शहर के बीचोंबीच कैसे पहुंचा, कौन से नेटवर्क ने इसे सप्लाई किया और क्या यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है?
क्या है पीईटीएन और कैसे करता है काम?
पेंटाएरिथ्रॉल टेट्रानाइट्रेट (पीईटीएन) एक अत्यधिक विस्फोटक नाइट्रेट कंपाउंड है. यह सफेद रंग का क्रिस्टलाइन पाउडर होता है और इसे ट्रिनाइट्रोटोलुइन (टीएनटी) और आरडीएक्स से भी अधिक पावरफुल माना जाता है. खास बात यह है कि यह हीट या फ्रिक्शन से बहुत जल्दी रिएक्टिव हो जाता है, जिससे छोटी-सी गलती भी बड़े धमाके में बदल सकती है. एक्सप्लोसिव एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पीईटीएन को मिलिटरी-ग्रेड एक्सप्लोसिव्स में इसलिए शामिल किया जाता है, क्योंकि यह कई अन्य सब्सटेंस के साथ मिलकर प्लास्टिक एक्सप्लोसिव्स जैसे सेमटेक्स को बनाता है. इसकी डिटेक्शन बहुत कठिन है, खासकर अगर इसे कम मात्रा में किसी दूसरी मटेरियल में मिक्स किया गया हो.
कितना खतरनाक क्यों है यह केमिकल?
पीईटीएन की सेंसिटिविटी और डिटोनेशन वेलोसिटी ही इसे खतरनाक बनाती है. इसमें ऑक्सीजन बैलेंस बहुत हाई होता है, यानी यह पूरी तरह से जलकर गैस में बदल जाता है और शॉकवेव की तीव्रता बढ़ा देता है. एक ग्राम पीईटीएन से काफी बड़ा ब्लास्ट किया जता सकता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यही कारण है कि पीईटीएन का इस्तेमाल हाल के वर्षों में कई हाई-प्रोफ़ाइल टेरर प्लॉट्स में हुआ है. 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट ब्लास्ट के समय भी पीईटीएन ट्रेसेस मिले थे. जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक कई सीज़र्स में पीईटीएन की रिकवरीज हुई हैं, जो आतंकी नेटवर्क की ‘साइलेंट बट सोफिस्टिकेटिड’ साजिश को दिखा रही है.
क्या आसानी से उपलब्ध है पीईटीएन?
भारत में पीईटीएन की लीगल अवेलेबिलिटी नहीं है. यह मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स द्वारा ‘रिस्ट्रिक्टेड केमिकल’ की सूची में है. लाइसेंस्ड डिफेंस सप्लायर्स के अलावा किसी भी अन्य एंटिटी को इसे मैन्युफैक्चर या ट्रांसपोर्ट करने की अनुमति नहीं होती. इसके बावजूद पिछले एक दशक में कई केस में स्मॉल क्वांटिटीज़ की इलीगल ट्रैफिकिंग पकड़ी जा चुकी है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार इसका इस्तेमाल दिखाता है कि किसी सोफिस्टिकेटिड नेटवर्क ने सप्लाई चैन को बायपास करते हुए इसे किसी अंडरग्राउंड रूट से ऑब्टेन किया.
Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
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First Published :
November 12, 2025, 11:59 IST

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