पुतिन के दिल्ली आने से पहले मॉस्को में ब्लास्ट, रूसी वैज्ञानिक की कार में धमाका किसने किया?

47 minutes ago

Moscow Car Blast: अब हम रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे को लेकर WORLD EXCLUSIVE विश्लेषण करेंगे. हिंदुस्तान के सबसे भरोसेमंद और सदाबहार दोस्त व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को दिल्ली आ रहे हैं. यानी उनके भारत आने में अब 72 घंटे से भी कम का वक्त बचा है. इस दौरान. पूरी दुनिया में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है..जिसका संबंध भारत और रूस दोनों से है.
आज आपको जानना चाहिए, कि पुतिन के भारत दौरे से पहले. यूएस प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप ने क्या किया? आज आपको समझना चाहिए कि पुतिन भारत आते हैं तो 'दुश्मन' क्यों घबराते हैं? लेकिन उससे पहले, हम आपको एक वीडियो दिखाना चाहते हैं. ये वीडियो रूस की राजधानी मॉस्को से आया है. ये वीडियो, कार ब्लास्ट का है. पुतिन के दिल्ली आने से 72 घंटे पहले..मॉस्को में बड़ा धमाका हो गया.  

लैंड क्रूजर में विस्फोट
ध्यान देने वाली बात ये है कि धमाका रूस में सैन्य लेजर सिस्टम पर काम करने वाले रूसी वैज्ञानिक की गाड़ी में किया गया. मॉस्को में जिस लैंड क्रूज़र प्राडो एसयूवी में विस्फोट हुआ..वो एक 41 साल के रूसी वैज्ञानिक की थी. यह वैज्ञानिक फिजिक्स और मैथमैटिक्स में डॉक्टरेट रखता है और क्वांटम इलेक्ट्रॉनिक्स का विशेषज्ञ है. ये वैज्ञानिक इस वक्त पोलुस रिसर्च इंस्टीट्यूट में काम कर रहा है. धमाका उस समय हुआ जब कार खाली खड़ी थी..अंदर कोई मौजूद नहीं था. लेकिन रूस के लिए खतरनाक हथियार बनाने वाले एक वैज्ञानिक की कार में अचानक हुआ धमाका कई सवाल खड़े कर रहा है.

भारत आने वाले हैं पुतिन
जिस वक्त रूस यूक्रेन वॉर को बंद करवाने के लिए दुनिया में मीटिंग का दौर चल रहा है. रूस के राष्ट्रपति यूक्रेन वॉर शुरू होने के बाद पहली बार भारत के दौरे पर आने वाले हैं. मास्को में उसी वक्त टॉप रूसी वैज्ञानिक की कार में जोरदार धमाके का मकसद क्या है ? क्या पुतिन की भारत यात्रा में विघ्न डालने की कोशिश की जा रही है. या फिर इस वैज्ञानिक पर हमले का मकसद रूस को किसी खास हथियार बनाने से रोकना था. ये वैज्ञानिक जिस लेज़र रेंजफाइंडर के उत्पादन से जुड़ा था. उसका उपयोग रूसी तोपखाने और वायुसेना द्वारा किया जाता है. जिस संस्थान में ये वैज्ञानिक काम करता है. उस पर अमेरिका और यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगा रखा है..क्योंकि इसे रूस–यूक्रेन युद्ध में सैन्य सहायता प्रदान करने वाली मुख्य संस्थाओं में माना जाता है. इस हमले में वैज्ञानिक की मौत तो नहीं हुई, क्योंकि वो वहां पर मौजूद नहीं था. फिर भी ये धमाका दुनिया में तनाव को और ज्यादा बढ़ाने वाला है

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पहले ट्रंप से मुलाकात
पुतिन अपनी भारत यात्रा से ठीक पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात में रूस-यूक्रेन शांति समझौते और डोनाल्ड ट्रंप की 28-पॉइंट योजना पर चर्चा की जाएगी. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विटकॉफ के बीच ये बैठक मंगलवार यानि कल होगी. यानि जिस वक्त पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियां आखिरी दौर में होंगी. उस वक्त मास्को के क्रेमलिन ऑफिस में पुतिन, अमेरिका के दूत के बीच रूस यूक्रेन वॉर खत्म करने के फॉर्मूले पर आखिरी बात होगी. और इसके ठीक एक दिन बाद पुतिन भारत दौरे के लिए रवाना हो जाएंगे.

पुतिन से मुलाकात करने से ठीक पहले अमेरिकी दूत विटकॉफ और अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो फ्लोरिडा में यूक्रेन के नेशनल सिक्यूरिटी काउंसिल प्रमुख से बैठक करके आए हैं.यानि भारत यात्रा से ठीक पहले पुतिन..यूक्रेन वॉर पर कोई आखिरी फैसला ले सकते हैं. और अपने विश्वसनीय सहयोगी भारत से चर्चा के बाद इस पर मुहर लगा सकते हैं. इसका मतलब साफ है. यूक्रेन वॉर खत्म हुई तो किस तरह रूस और भारत इसका फायदा उठा सकते हैं. दिल्ली में इस पर मंथन किया जाएगा. इसके अलावा वॉर खत्म नहीं हुई तो रूस और भारत की रणनीति क्या होगी. दिल्ली में भारत और रूस के बीच ये वार्ता भी होगी

दिल्ली पर निगाहें
यानि जिस वक्त पुतिन दिल्ली में होंगे सारी दुनिया ​की निगाह दिल्ली से जारी होने वाले पुतिन के स्टेटमेंट पर भी लगी रहेंगी. क्योंकि दिल्ली से पुतिन यूक्रेन वॉर के भविष्य का संकेत दे देंगे. आज आपको ये भी जानना चाहिए...भारत के लिहाज से पुतिन और अमेरिकी दूत विटकॉफ की कल होने वाली मीटिंग क्यों महत्वपूर्ण है ?

टैरिफ कम होगा?
रूस-अमेरिका के बीच तनाव कम होने से भारत के खिलाफ 25% अमेरिकी टैरिफ कम होगा यानि भारत और अमेरिका के बीच भी तनाव कम हो जाएगा. रूस से एस -500 और सुखोई- 57 के लिए भारत की बातचीत से भी अमेरिका दबाव में है. इसीलिए पुतिन-विटकॉफ की मीटिंग में भारत दौरे और भारत से रूस के बड़े रक्षा समझौतो पर भी चर्चा हो सकती है

ये शर्त भी मुमकिन
पुतिन अमेरिका के सामने भारत के साथ होने वाले बड़े रक्षा समझौतों में अड़ंगा नहीं डालने की शर्त भी रख सकते हैं. भारत दौरे से ठीक पहले पुतिन ने चीन के साथ भी एक बड़ी डील पर साइन किया है. अब चीन का कोई भी नागरिक रूस की वीजा फ्री यात्रा कर सकता है.

चीन के लिए रूस में वीजा फ्री
यानि अब चीन के नागरिकों के लिए रूस की यात्रा बहुत आसान हो गई है. यह सुविधा अस्थायी है और 14 सितंबर 2026 तक लागू रहेगी. यह कदम चीन द्वारा रूसियों को पहले दी गई वीज़ा-फ्री सुविधा के जवाब में उठाया गया है. चीन ने सितंबर 2025 में साधारण पासपोर्ट वाले रूसी नागरिकों को 30 दिन का वीज़ा-फ्री प्रवेश दिया था. यानि भारत यात्रा और अमेरिकी दूत से मुलाकात से ठीक पहले पुतिन ने रूस–चीन रिश्तों को और मजबूत करने का संकेत दिया है. लेकिन इसी के साथ भारत के लिए भी रूस से एक अच्छी खबर आई है

भारतीय मजदूर रूस जाएंगे?
पुतिन के भारत दौरे पर दोनों देश सामाजिक और मजदूरों से जुड़े मुद्दे पर सहयोग का एलान करेंगे. रूस भारत के साथ मजदूरों को लेकर इजरायल की तरह बड़ी डील कर सकता है. रूस ने अगले कुछ सालों में 10 लाख विदेशी मजदूरों को भर्ती करने की योजना बनाई है. रूस चाहता है उसके सबसे भरोसेमंद दोस्त भारत से ज्यादा से ज्यादा मजदूर रूस आएं. इससे पहले मध्य एशिया से रूसी बोलने वाले 7 लाख से ज्यादा मजदूर रूस में मौजूद थे, लेकिन अब रूस को मध्य एशिया के कट्टरपंथी मुस्लिमों से खतरा महसूस हो रहा है. रूस की खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक इन देशों के नागरिकों को विदेशी ताकतें आसानी से भड़का सकती हैं. जबकि रूस को दोस्त मानने वाले भारतीय..रूसी समाज के नैतिक मूल्यों के समर्थक साबित होंगे 2030 तक रूस को 31 लाख से ज्यादा मजदूरों की जरूरत होगी. यानि रूस यूक्रेन वॉर खत्म हो जाती है तो आने वाले कुछ वर्षों में भारतीयों की संख्या रूस में काफी ज्यादा बढ़ने वाली है. लेकिन पुतिन की भारत यात्रा से पहले नेटो के एक अधिकारी के बयान ने रूस-यूक्रेन से बड़ी वॉर छिड़ने की आशंका भी बढ़ा दी है.

नाटो का रोल
NATO के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी एडमिरल जी सी द्रागोने ने रूस के खिलाफ आक्रामक बयान दिया. जिसके मुताबिक अगर रूस NATO के खिलाफ हमले की तैयारी करता है तो NATO रूस पर पहले हमला कर सकता है. यानि NATO पहले हमला करो वाली सोच को रक्षा के उपाय के तौर पर पेश कर रहा है. पुतिन के भारत दौरे से ठीक पहले दिए गए इस बयान के बाद NATO बनाम र​​शिया का तनाव और बढ़ गया है. NATO देश इससे पहले बयान दे चुके हैं. पुतिन 2030 तक कुछ NATO देशों पर हमला कर सकते हैं लेकिन रूस पर पहले हमला करने का बयान NATO की तरफ से पहली बार आया है, और NATO के इस आक्रामक रुख पर रूस अपने मजबूत सहयोगी भारत से चर्चा कर सकता है. अगर NATO और रूस के बीच युद्ध शुरू हुआ तो ये रूस-यूक्रेन वॉर से कई गुना खतरनाक साबित होगा.

यूएस-वेनेजुएला के बीच टेंशन
वैसे पुतिन के दौरे से ठीक पहले वॉर के बादल सिर्फ रूस के इर्द गिर्द नहीं मंडरा रहे. अमेरिका भी एक वॉर में कूदने की पूरी तैयारी कर चुका है. जिससे रूस का सीधा कनेक्शन है. जिस वक्त पुतिन भारत में होंगे. उस वक्त अमेरिका और वेनेजुएला के बीच भी युद्ध छिड़ने की आशंका बढ़ गई है.

(इनपुट-टीम डीएनए)

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