देख रहे हैं ट्रंप! सिंगापुर के समंदर तक भारत का होने जा रहा दबदबा, चीन की दादागीरी का 'द एंड'

1 month ago

दुनिया में इस समय कई चीजें एक साथ हो रही हैं. ग्लोबल रिलेशन में नए संबंध बन और बिगड़ भी रहे हैं. कह लीजिए कि नया वर्ल्ड ऑर्डर बन रहा है. भारत और पाकिस्तान के बीच जबरन चौधरी बनने की इच्छा पूरी नहीं हुई तो ट्रंप ने 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया. अमेरिका को लगा था कि भारत पस्त हो जाएगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजिंग जाकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिल आए. अमेरिका अब परेशान है कि ये कैसे हो गया. ट्रंप के कभी खास रहे एक्सपर्ट ही अब उन्हें कोस रहे हैं. मोदी बीजिंग तो गए लेकिन चीन के सैन्य परेड में शामिल नहीं हुए जो एक दिन बाद ही होना था. अब 48 घंटे बाद चीन की दादागीरी पर शिकंजा कसने वाला एक और दांव चल दिया गया है. 

जी हां, हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भारत ने अंडमान सागर के दक्षिण-पूर्वी छोर पर दायरा बढ़ाने की तैयारी कर ली है. सिंगापुर के प्रधानमंत्री भारत आए तो उन्होंने भारत के सुझाव पर हामी भी दे दी. दरअसल, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया के साथ मिलकर भारत मलक्का जलडमरूमध्य में गश्त करना चाहता है. सिंगापुर ने अपना खुला समर्थन दे दिया है.जैसे ही यह खबर पता चली सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी कि चीन के खिलाफ हिंद प्रशांत क्षेत्र में यह भारत का मास्टरस्ट्रोक होगा. 

मलक्का जलडमरूमध्य क्यों अहम है?

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भारत और इंडोनेशिया रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मलक्का जलडमरूमध्य में मिलकर गश्त करने के बारे में पहले से सोच रहे हैं. यह क्षेत्र प्रशांत और हिंद महासागर को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण नौवहन मार्ग और नौसैनिक रूट है. पहले यह खबर आई थी कि भारतीय सीडीएस के आगामी इंडोनेशिया दौरे के समय इस बेहद संकीर्ण रास्ते के बारे में सहमति बन सकती है. मलक्का रूट मलेशिया और सिंगापुर को सुमात्रा से अलग करता है और बेहद ही व्यस्त रूट है. 

मलक्का जलडमरूमध्य 900 किमी तक फैला है. कुछ जगहों पर यह करीब 70 किमी तक संकरा हो जाता है. यह दक्षिण चीन सागर और पूर्वी प्रशांत से हिंद महासागर में प्रवेश करने का एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है. भारत लंबे समय से सुरक्षा कारणों से यहां संयुक्त गश्त का समर्थन करता रहा है क्योंकि यहां समुद्री लुटेरों का इतिहास रहा है. चीनी नौसैनिक जहाज भी हिंद महासागर में प्रवेश करने के लिए इसका बढ़-चढ़कर इस्तेमाल करते हैं. 

फिलहाल जलडमरूमध्य का नियंत्रण तीन देशों इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर के पास है. भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी छोर सुमात्रा से लगभग 150 किमी दूर है.ऐसे में इस जगह की महत्ता अधिक है. 

विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि भारत इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया के साथ मलक्का जलडमरूमध्य में गश्त इसलिए चाहता है क्योंकि अंडमान द्वीप समूह के कारण हमारे साझा हित हैं.

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