Last Updated:November 02, 2025, 16:15 IST
त्रिशूल 2025 में इंडियन नेवी, आर्मी, एयरफोर्स, INS जलाश्वा, LCU, BSF, इंडियन कोस्ट गार्ड समेत स्वदेशी तकनीक के साथ गुजरात, राजस्थान और अरब सागर में संयुक्त अभ्यास हो रहा है.
‘त्रिशूल 2025’ की शुरुआत हो चुकी है. यह सिर्फ इंडियन नेवी, आर्मी और एयरफोर्स का एक्सरसाइज नहीं, यह एक साफ संदेश है कि भारत हर मोर्चे पर तैयार है. पश्चिमी नौसैनिक कमान के नेतृत्व में चल रहे ‘त्रिशूल 2025’ में तीनों सेनाएं अब एक ताल पर, एक प्रहार के रूप में जुटी हैं. वीडियो में आप खुद इसे देख सकते हैं.
यह कोई रूटीन ड्रिल नहीं, गुजरात की तटरेखा से लेकर उत्तर अरब सागर और राजस्थान के रेगिस्तानी हिस्सों तक, हर जगह बलों की तैनाती, हाई-इंटेंसिटी अभ्यास और एम्फिबियस ऑपरेशन चल रहे हैं. INS जलाश्वा, लैंडिंग क्राफ्ट यूटीलिटी (LCU), एयरफोर्स के फाइटर और सपोर्ट एयरक्राफ्ट- सब मिलकर वही कर रहे हैं जो एक साथ होने पर किया जा सकता है. काट-छांट, घुसपैठ, और कंट्रोल.
एक साथ मारना, एक साथ जीना- यही फॉर्मूला
त्रिशूल का फोकस सीधा है — तीनों सेवाओं की इंटरऑपरेबिलिटी को परखना और उसे बुनियादी तौर पर पक्का कर देना. अगर जरूरत पड़ी तो कौन-सा प्लेटफार्म किस सिनारियो में कब और कैसे इस्तेमाल होगा, इन बातों का रियल-टाइम टेस्ट चल रहा है. करियर ऑपरेशन्स से लेकर तटीय एयर सपोर्ट, समुद्र से लैंडिंग और रेगिस्तान में आर्मी, सब एक ताल में होगा. इसके साथ ISR यानी इंटेलिजेंस,सर्विलांस, रीकॉग्निजेंस, इलेक्ट्रानिक वॉरफेयर और साइबर वॉयरफेयर की संयुक्त योजनाओं का भी कठोर अभ्यास हो रहा है. यानी न सिर्फ टैंक और जहाज, बल्कि इंटेलिजेंस और नेटवर्क सब पर एक साथ प्रहार की तैयारी.
आत्मनिर्भर भारत का अंदाज
त्रिशूल 2025 में जो चीज सबसे ज्यादा दिख रही है, वो है ‘Made-in-India’ सिस्टम्स का भरोसा. नेविगेशन हो, कम्युनिकेशन हो या हथियारों के इंटरफेस- स्वदेशी टेक्नोलॉजी का प्रयोग साफ नजर आ रहा है. यह सिर्फ दिखावा नहीं; अभ्यास में यह परखा जा रहा है कि घरेलू सॉल्यूशन्स कितनी दबाव सह सकते हैं और असली लड़ाई में कितना भरोसा दिए जा सकते हैं. यह संदेश भी स्पष्ट है — भारत अब आत्मनिर्भर होकर अपनी क्षमताओं को दुनिया के सामने रख रहा है. और जो चीज़ सबसे ज्यादा मायने रखती है वह है रैपिड-रिस्पॉन्स और कोआर्डिनेशन, क्योंकि अगर ये साथ हो गई तो काेई भी जंग जीतना ज्यादा आसान होगा.
अम्फिबियस ऑपरेशन यानी समंदर से जमीन तक सटीक चोट
यही वह हिस्सा है जहां से सरकार और सेनाएं अपनी ताकत पर भरोसा जताती हैं. समुद्र से उतरकर जमीन कब्जा करना. INS जलाश्वा जैसी लैंडिंग प्लेटफार्म डॉक्स और LCUs की मदद से मंच पर उतार-चढ़ाव और फोर्स प्रोजेक्शन का दमदार नजारा देखने को मिल रहा है. जब नेवी और आर्मी साझा मिशन में उतरते हैं, तो वह न सिर्फ ताकत दिखाता है बल्कि बॉर्डर-सेक्योरिटी से लेकर बड़े पैमाने पर ह्यूमनिटेरियन ऑपरेशन तक ऑपरेशनल सॉलिडिटी भी बनाता है.
वायुसेना का क्विक एक्शन
वायुसेना के फाइटर और सपोर्ट एयरक्राफ्ट तटीय और अंदरूनी दोनों मोर्चों पर एक साथ ऑपरेशन कर रहे हैं. विशेष बात यह कि अब नौसेना के कैरियर ऑप्स और एयर फोर्स के शोर-आधारित एसेट्स का समन्वय एक नए मुकाम पर आ गया है. यानी समुद्र के ऊपर एयर सुपरियोरिटी और लॉजिस्टिक सपोर्ट का ज्वाइंट एक्सपेरिमेंट हो रहा है. बीएसएफ, इंडियन कोस्ट गार्ड और अन्य सेंट्रल एजेंसियों की भागीदारी से यह अभ्यास सिर्फ तीनों सेनाओं की नहीं रह जाता, यह नेशनल इमरजेंसी और बॉर्डर मैनेजमेंट का एक बड़ा टेस्ट है.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
November 02, 2025, 16:15 IST

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