Last Updated:December 07, 2025, 13:15 IST
Toxic Lethal Injection Death: भारत में मौत की सजा देने का एक ही तरीका प्रचलन में है, लेकिन दुनिया के अन्य देशों में सजा-ए-मौत के अन्य तौर-तरीके भी अपनाए जाते हैं. जहरीले इंजेक्शन से मौत की नींद सुलाना भी उनमें से एक है. 7 दिसंबर 1982 को पहली बार टॉक्सिक इंजेक्शन से मौत की सजा दी गई थी. यह मामला अमेरिका के टेक्सास प्रांत का है.
Toxic Lethal Injection Death: दुनिया में सबसे पहले अमेरिका में जहरीले इंजेक्शन से चार्ल्स ब्रुक्स जूनियर को मौत की सजा दी गई थी.Toxic Lethal Injection Death: फांसी की सजा को एग्जीक्यूट करने के कई तरीके हैं. फांसी के फंदे पर चढ़ाना, गोलियों से शूट करना और इलेक्ट्रिक चेयर आदि शामिल हैं. भारत में मौत की सजा देने का एक ही तरीका है- फांसी के फंदे पर चढ़ाना. लेकिन, अमेरिका में कैपिटल पनिशमेंट देने के मानवीय तरीका ईजाद करने पर बहस हुई थी. इसके बाद जहरीले इंजेक्शन से मौत की सजा देने पर सहमति बनी. 7 दिसंबर 2982 को पहली बार इस तरीके से चार्ल्स ब्रुक्स जूनियर नाम के एक शख्स को मौत की सजा दी गई थी. अमेरिका में फांसी की सजा देने का तरीका समय–समय पर बदलता रहा है. कभी फायरिंग स्क्वॉड, कभी इलेक्ट्रिक चेयर और कहीं फांसी, लेकिन 1982 में टेक्सास में हुई एक फांसी ने अमेरिकी इतिहास में बड़ा मोड़ ला दिया. इसी फांसी (यानी चार्ल्स ब्रूक्स जूनियर की मौत) के बाद लेथल इंजेक्शन को अमेरिका में मौत की सज़ा देने का मुख्य तरीका बना दिया गया.
यह कहानी केवल एक अपराधी की मौत की नहीं है, बल्कि एक ऐसे समय की है जब अमेरिका ज्यादा मानवीय तरीके से मौत देने का तरीका खोज रहा था. 1970 के दशक में अमेरिका में मौत की सज़ा पर अस्थायी रोक लगी हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कई राज्यों के कानून अस्पष्ट थे और मौत की सज़ा देने का तरीका मानवीय नहीं माना जा सकता. इसी दौरान 1977 में एक कैदी गैरी गिल्मोर ने फायरिंग स्क्वॉड से मरने का विकल्प चुना. उसके बाद यह सवाल उठने लगा कि क्या कोई ऐसा तरीका हो सकता है जिससे बिना तकलीफ मौत दी जा सके? यहीं पर ओक्लाहोमा के मेडिकल एग्ज़ामिनर डॉ. जे चैपमैन को यह ज़िम्मेदारी मिली कि वे सबसे मानवीय तरीका खोजें. डॉ. चैपमैन ने 2015 में बताया था, ‘जानवरों को भी इंसानों से ज़्यादा मानवीय तरीके से मारा जाता था. इसलिए मेडिकल ड्रग्स का इस्तेमाल बेहतर लगा.’
डॉ. चैपमैन ने तीन दवाओं की एक सरल प्रक्रिया बताई थी -:
सोडियम थियोपेंटल – बेहोश करने के लिए पैनक्यूरोनियम ब्रोमाइड – शरीर को पैरालाइज करने के लिए पोटैशियम क्लोराइड – दिल की धड़कन रोकने के लिएअमेरिका के किस प्रांत ने दी थी पहली मंजूरी?
अमेरिका के ओक्लाहोमा प्रांत ने जहरीजे इंजेक्शन से मौत की सजा देने के प्रावधान को पहली बार मंज़ूरी दी थी. कुछ ही समय बाद टेक्सास ने भी इसे ग्रीन सिग्नल दे दिया था. चार्ल्स ब्रूक्स जूनियर को पहली बार इंजेक्शन से मौत की सजा दी गई थी. वह एक समय हाई स्कूल फुटबॉल स्टार था. वह अच्छे परिवार से ताल्लुक रखता था और पढ़ाई भी अव्वल था. उसने हाईस्कूल की प्रेमिका से शादी की थी, लेकिन 1976 में उनकी जिंदगी एक अपराध की वजह से बदल गई. ब्रूक्स एक सेकेंड-हैंड कार देखने गया था. उसने मैकेनिक डेविड ग्रेगरी को टेस्ट ड्राइव पर साथ चलने को कहा. रास्ते में उसका साथी वूडी लाउड्रेस कार में बैठ गया. बाद में ग्रेगरी को कार के बूट में डाल दिया गया और नज़दीकी मोटल में उसकी हत्या कर दी गई.
इन देशों में जहरीले इंजेक्शन से मौत की सजा
अमेरिका: पहली बार 1982 में प्रयोग हुआ. कई राज्यों में यह प्रमुख तरीका है. इसमें बेहोशी की दवा, शरीर को लकवा देने वाली दवा और दिल रोकने वाली पोटैशियम क्लोराइड जैसी दवाओं का उपयोग होता है. चीन: यहां भी इसका उपयोग होता है. साथ ही फायरिंग स्क्वाड का भी उपयोग किया जाता है, लेकिन इसके सही आंकड़े गुप्त रखे जाते हैं. वियतनाम: इस तरीके को 2013 में अपनाया. थाईलैंड: इसे 2003 में अपनाया. ताइवान: कानूनन अनुमति है, लेकिन परंपरागत रूप से फायरिंग स्क्वाड का उपयोग होता रहा है. नाइजीरिया: 2015 में इसे अपनाया, लेकिन अभी तक इस तरीके से कोई फांसी नहीं दी गई. ग्वाटेमाला: इसे अपनाया था, लेकिन 2000 के बाद इस तरीके से कोई फांसी नहीं हुई. मालदीव: 2014 में इसे अपनाया, लेकिन आजादी के बाद से यहां किसी को फांसी नहीं दी गई. फिलीपींस: यहां इसका उपयोग होता था, लेकिन 2006 में मौत की सज़ा खत्म कर दी गई.क्या था मामला?
लाउड्रेस को 40 साल की सज़ा मिली थी, जबकि ब्रूक्स को 1978 में मौत की सज़ा. डेथ रो में ब्रूक्स शांत, पढ़ाकू और सोचने वाले कैदी के रूप में जाना गया. 1976 के बाद से अब तक अमेरिका में 1,459 लोगों को लेथल इंजेक्शन से मारा जा चुका है. आज भी 27 अमेरिकी राज्यों, सेना और फेडरल गवर्नमेंट में यह तरीका अधिकृत है. साउथ कैरोलाइना में इलेक्ट्रिक चेयर डिफॉल्ट है, लेकिन दवाइयां उपलब्ध हों तो कैदी लेथल इंजेक्शन चुन सकते हैं. 2006 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि यह तरीका जनता को ज्यादा स्वीकार्य लगा, हालांकि प्रक्रिया सही तरीके से विकसित नहीं की गई थी. डॉ. चैपमैन ने खुद कहा था, ‘मेरे लिए फर्क नहीं पड़ता था कि कौन सी दवा मारती है, बस कोई एक दवा काम कर जाए.’ आज कई राज्य एक ही बड़ी मात्रा में एनेस्थेटिक देते हैं, जैसे पालतू जानवरों की इच्छामृत्यु में होता है. कई राज्य अभी भी तीन-दवा प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं.
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बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 07, 2025, 13:14 IST

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