नई दिल्लीः देश के अलग-अलग राज्यों में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण लोगों को होने वाली स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. इस नए फैसले के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों के जिला अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चेस्ट क्लिनिक खोलने का निर्देश दिया है. इस क्लिनिक पर खासतौर से उन मरीजों का इलाज किया जाएगा, जिनको सांस संबंधित व फेफड़े में कोई परेशानी हो.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने निर्देश में यह भी कहा है कि इन क्लीनिकों में हर मरीज का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा. रोज के मामले नोट किए जाऐगें और सब कुछ डिजिटल सिस्टम से रिपोर्ट किया जाएगा. हर क्लीनिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से जुड़ी रहेगी, ताकि मरीजों का इलाज और फॉलो-अप लगातार चलता रहे. सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और जिला अस्पतालों (DH) में दवाइयां, ऑक्सीजन सिलेंडर, नेबुलाइजर, वेंटिलेटर और इमरजेंसी बेड सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है.
डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को खास ट्रेनिंग
इसके अलावा चेस्ट क्लिनिक पर तैनात होने वाले डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को खास ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे प्रदूषण से होने वाली सांस और दिल की बीमारियों को अच्छे से संभाल सकें. देश भर के अस्पताल अब वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों जैसे अस्थमा, COPD, ब्रोंकाइटिस, दिल की बीमारी और स्ट्रोक के रोज के मामलों पर नजर रखेंगे और रिपोर्ट करेंगे. यह डेटा अन्य राज्य के अधिकारियों के पास जाएगा, ताकि जल्दी चेतावनी दी जा सके और जरूरी कदम उठाए जा सकें.
केंद्र ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, जिनमें ASHA और ANM स्टाफ शामिल हैं को घर-घर सर्वे करने का निर्देश दिया है. इनमें बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और पहले से फेफड़े या दिल की बीमारी वाले लोग शामिल हैं. सर्वे में स्वास्थ्य कार्यकर्ता परिवारों को बताएंगे कि खराब हवा के दिनों में बाहर न निकलें, घर में हवा का आना-जाना ठीक रखें और साफ ईंधन इस्तेमाल करें.
पांचवीं क्लास तक के बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को निर्माण और तोड़-फोड़ वाली जगहों पर धूल रोकने के सख्त इंतजाम करने को कहा है. इसके अलावा, स्थानीय अधिकारियों को पानी छिड़काव, सामग्री को ढकने और सभी श्रमिकों के लिए मास्क और सुरक्षात्मक किट प्रदान करने की व्यवस्था करनी होगी. मालिकों को ड्यूटी बदल-बदल कर करानी होगी, ताकि कोई लंबे समय तक प्रदूषण में न रहे. साथी हीं, उनका सांस का स्वास्थ्य रिकॉर्ड भी रखना होगा.
सलाह के हिस्से के रूप में, केंद्र ने सिफारिश की है कि पांचवीं क्लास तक के स्कूल गंभीर वायु प्रदूषण के दिनों में ऑनलाइन क्लासेस में शिफ्ट होना होगा. स्कूलों को रोज वायु प्रदूषण (AQI) चेक करना होगा. और जब हवा ‘खराब’ या उससे ज्यादा खराब हो, तो बाहरी गतिविधियों को निलंबित करने के लिए कहा गया है. राज्य और जिला स्तर पर जलवायु और स्वास्थ्य की टास्क फोर्स को तुरंत सक्रिय कर दिया गया है.
GRAP का सख्ती से पालन करने का आदेश
यह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शिक्षा विभाग और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेंगे. सभी राज्यों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के GRAP प्लान का सख्ती से पालन करना होगा. मंत्रालय ने बताया कि वायु प्रदूषण से फेफड़े और दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. खराब हवा सिर्फ सांस की तकलीफ ही नहीं, बल्कि दिल, दिमाग और नसों को भी नुकसान पहुंचाती है.
लंबे समय तक रहने से फेफड़े का कैंसर, स्ट्रोक और दिल की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. अंत में, मंत्रालय ने सभी लोगों से कहा है कि सतर्क रहें, CPCB का समीर ऐप डाउनलोड करें, स्थानीय हवा की गुणवत्ता देखें और सरकारी सलाह का पालन करें, ताकि खुद को और अपने परिवार को इस बढ़ते खतरे से बचाया जा सके.
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1 hour ago
