Last Updated:November 12, 2025, 14:30 IST
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि वैध किरायानामा साइन करने वाला किरायेदार कभी मकान मालिक की संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता. अदालत ने कहा किरायेदारी एक “अनुमत कब्ज़ा” है, न कि “विरोधी कब्ज़ा.” कोर्ट ने दिल्ली के 1953 से चले आ रहे ज्योति शर्मा बनाम विष्णु गोयल केस में किरायेदारों को छह महीने में मकान खाली करने का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिकों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया. (फाइल फोटो)Supreme Court News: दिल्ली के एक पुराने किरायेदारी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिससे देशभर के मकान मालिकों को बड़ी राहत मिली है. अदालत ने साफ कहा है कि किराए पर रहने वाला व्यक्ति कभी भी उस संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता, अगर वह वैध किरायानामा के तहत रह रहा है.
जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और के. विनोद चंद्रन की बेंच ने ज्योति शर्मा बनाम विष्णु गोयल मामले में यह निर्णय सुनाया. कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसलों को पलटते हुए कहा कि किरायेदार जिसने किरायानामा साइन किया, किराया दिया और मकान मालिक की मालिकाना हक को स्वीकार किया. वह बाद में उस पर विवाद नहीं उठा सकता.
किरायेदारी विवाद की पूरी कहानी
यह मामला साल 1953 से चला आ रहा था. दिल्ली के एक दुकान को रामजी दास ने किराए पर दिया था. बाद में उनके वारिसों को किराया मिलता रहा. 1999 में बनी वसीयत और 1953 के रिलींक्विशमेंट डीड के आधार पर संपत्ति का स्वामित्व उनकी पुत्रवधू ज्योति शर्मा को मिला. उन्होंने पारिवारिक मिठाई व्यवसाय के विस्तार के लिए दुकान खाली कराने की मांग की. लेकिन किरायेदारों ने यह कहकर विरोध किया कि संपत्ति रामजी दास के चाचा की थी और वसीयत फर्जी है.
सुप्रीम कोर्ट ने दी साफ टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को गलत और बिना ठोस सबूतों वाला बताया. बेंच ने कहा, “जब कोई किरायेदार वैध किरायानामा साइन करता है और नियमित किराया देता है, तो वह बाद में मकान मालिक की मालिकाना स्थिति पर सवाल नहीं उठा सकता.” अदालत ने यह भी कहा कि किरायेदारी का मतलब सिर्फ मालिक की इजाजत से लिया गया कब्जा होता है, न कि मालिक के खिलाफ जाकर किया गया कब्जा.
छह महीने में खाली करना होगा मकान
लंबे समय से किरायेदार रहे परिवार को कोर्ट ने छह महीने का समय दिया है ताकि वे बकाया किराया चुकाकर संपत्ति खाली कर सकें. साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि वसीयत को 2018 में प्रोबेट मिल चुका है, इसलिए उस पर संदेह करने का कोई आधार नहीं है. यह फैसला मकान मालिकों के हक में बड़ा कानूनी संकेत माना जा रहा है.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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First Published :
November 12, 2025, 14:30 IST

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