Last Updated:November 12, 2025, 09:20 IST
Delhi Lal Quila Blast Case: दिल्ली लाल किला ब्लास्ट केस में नए-नए खुलासे हो रहे हैं. प्रारंभिक जांच की मानें तो आतंकी उमर ने हड़बड़ी में आकर विस्फोट किया था. उसने बम को और अधिक विस्फोटक बनाने की कोशिश की थी. मगर वह कामयाब नहीं हो पाया. लाल किला ब्लास्ट केस में 12 लोगों की मौत हुई है और कई घायल हुए हैं. अभी इस मामले की जांच जारी है.
दिल्ली लाल किला विस्फोट को लेकर नया खुलासा हुआ है. Delhi Lal Quila Blast Case: दिल्ली लाल किला विस्फोट को लेकर नया खुलासा हुआ है. लाल किले ब्लास्ट की जांच से पता चलता है कि आतंकी डॉक्टर उमर मोहम्मद खतरनाक बम बनाना चाहता था. उसने इसके लिए खूब दिमाग लगाया था. जब उसे पता चला कि उसके और साथी अरेस्ट हो चुके हैं तो उसने पैनिक में आकर विस्फोट करने का प्लान बनाया. इसके लिए उसने अपनी कार में रखे विस्फोटकों से खतरनाक बम बनाने की सोची. इसके लिए उसने पार्किंग में तीन घंटे तक दिमाग लगाया. अग उसका दिमाग काम कर जाता तो दिल्ली और दहल उठती. जी हां, लाल किले के पास हुए विस्फोट की प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि आतंकी उमर ने जल्दबाजी में विस्फोटक उपकरण बनाया था. और उसने गिरफ्तारी के डर से लाल किले के पास ब्लास्ट कर दिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पुलवामा के रहने वाले डॉक्टर उमर का संबंध फरीदाबाद स्थित आतंकवादी मॉड्यूल से था. उसका पर्दाफाश वहां से विस्फोटक बरामद होने के बाद हुआ था. उसे अपने साथियों की गिरफ्तारी के बाद उसके पकड़े जाने का डर था. उसके पास पहले से कुछ विस्फोटक पड़े थे. वह पकड़े जाने से पहले धमाका करना चाहता था. यही कारण है कि वह कई घंटे तक दिल्ली में घूमता रहा और करीब 3 घंटे तक पार्किंग में दिमाग लगाता रहा. सूत्रों ने बताया कि यह विस्फोट दिल्ली-एनसीआर और जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में कई स्थानों पर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा माने जा रहे संदिग्धों को पकड़ने के लिए की गई छापेमारी के बाद घबराहट और हताशा में किया गया.
एक सीनियर पुलिस अधिकारी के मुताबिक, फरीदाबाद में छापेमारी के बाद आतंकी उमर शायद घबरा गया था. इसकी वजह से उसे जल्दी से अपना घर बदलना पड़ा. इससे बम विस्फोट वाली दुर्घटना की आशंका बढ़ गई. ऐसा लगता है कि यह घटना संदिग्ध आत्मघाती हमले के बजाए परिवहन के दौरान अनजाने विस्फोट में बदल गई. अधिकारी ने कहा कि खुफिया टीमों के प्रथम आकलन से पता चलता है कि संवर्धित विस्फोटक उपकरण (आईईडी) को गलत तरीके से बनाया गया था, जिससे इसका विनाशकारी प्रभाव सीमित हो गया.’
अधिकारी ने कहा, ‘बम समय से पहले ही फट गया था और पूरी तरह बना नहीं था, इसलिए इसका प्रभाव सीमित रहा. विस्फोट से कोई छर्रे या कीलें नहीं मिले.’ सूत्रों के अनुसार वह पार्किंग में 3 घंटे तक इस बम को प्रभावी बनाने का तरीका ढूंढ रहा था. उसने कई कॉल भी किए थे. जिसके डंप डेटा को इकट्ठा किया जा रहा है. उससे जब बम बहुत खतरनाक नहीं बन पाया तो उसने उब कर इसे लाल किले के पास मेट्रो के गेट नंबर एक पर विस्फोट करने का सोचा. उसने जान बूझकर यह ब्लास्ट किया या दुर्घटनावश हो गया, यह अभी जांच का विषय है. हालांकि, यह बात तय है कि अगर उमर का दिमाग बम बनाने में कामयाब हो जाता तो और बड़ी तबाही होती.
दरअसल, लाल किले के पास सोमवार शाम को हुए विस्फोट से कुछ ही घंटे पहले जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े एक ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ था. इसमें तीन डॉक्टर समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किया गया था. यह मॉड्यूल कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था. चौथा आतंकी डॉक्टर उमर ही था. वह भागने में कामयाब हो गया था. दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी में विस्फोट को ‘बम विस्फोट’ बताया गया है और इसमें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी हमले की साजिश और सजा से संबंधित धाराएं लगाई गई हैं.
शुरुआत में दावा किया गया था कि विस्फोट के दौरान कार में तीन लोग थे। हालांकि, अब यह स्पष्ट है कि विस्फोट के समय आई20 कार केवल नबी चला रहा था, जो आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद फरार हो गया था. पुलिस की जांच के अनुसार, यह भी पता चला है कि नबी फरीदाबाद में अपने साथियों की गिरफ्तारी के बारे में इंटरनेट पर तलाश करते हुए लगभग तीन घंटे तक सुनहरी मस्जिद की पार्किंग में रहा. जांचकर्ताओं ने नबी की गाड़ी का 11 घंटे का सुराग लगाने में कामयाबी हासिल की है.
वह लाल किले के पास छत्ता रेल चौक रोड पर आगे बढ़ा और फिर यू-टर्न ले लिया. जांच से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, विस्फोट लाल किला पुलिस चौकी से कुछ मीटर पहले हुआ. सोमवार को गिरफ्तार किए गए लोगों में डॉ. मुजम्मिल गनई और डॉ. शाहीन सईद भी शामिल थे जो फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े थे। फरीदाबाद से 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया था. जांच अधिकारियों के अनुसार, शाहीन भारत में जैश-ए-मोहम्मद की महिला भर्ती शाखा का नेतृत्व कर रही थी. वह समूह की महिला शाखा जमात-उल-मोमिनात की प्रमुख थी.
अधिकारियों ने बताया कि उमर अल फलाह से भी जुड़ा है और माना जा रहा है कि वह हुंदै आई20 कार चला रहा था जिसमें यह शक्तिशाली विस्फोट हुआ था. उमर ने कथित तौर पर यह आतंकी हमला इसलिए किया क्योंकि उसे डर था कि वह भी अपने साथी चिकित्सकों की तरह पकड़ा जा सकता है. उन्होंने बताया कि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के लेथपोरा का यह डॉक्टर कथित तौर पर कार में विस्फोटक, संभवतः अमोनियम नाइट्रेट ले जा रहा था. आत्मघाती हमले की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें
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First Published :
November 12, 2025, 09:20 IST

3 hours ago
