नोएडा. कंपनियों और सरकारी प्रतिष्ठानों से निकलने वाला कबाड़ अब नोएडा की सुंदरता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा. नोएडा अथॉरिटी की नई योजना को कबाड़ से जुगाड़ नाम दिया गया है. योजना के पहले फेज में एक बाजार, एक सेक्टर और एक ग्रीन बेल्ट में कबाड़ से म्यूरलस (भित्तिचित्र) बनाई जाएंगी. (फोटो-हिमांशु शुक्ला)
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इसे सेल्फी पॉइंट के रूप में विकसित किए जाने की योजना है. यूं कहें कि नोएडा में चंडीगढ़ के रॉक गार्डन के तर्ज पर कई स्थानों पर कबाड़ से म्यूरल्स बनाए जाएंगे. योजना का एक प्रेजेंटेशन नोएडा की सीईओ रितु माहेश्वरी को दी गई है.
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ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे पर सेक्टर-128 और 132 पर ग्रेनो से नोएडा आते समय सर्विस लेन के पास एक सेल्फी पॉइंट बनाया गया है. इसे पूरी तरह से कबाड़ से बनाया गया है. इसमें पौंड को बनाने के लिए टायर और बाल्टी और अन्य सामान का प्रयोग किया. इसी तहर सेक्टर-132 में भी बनाया जा रहा है.
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प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल किस तरह किया जा सकता है. इसकी मिसाल नोएडा अथॉरिटी पहले भी दे चुका है. अथॉरिटी ने सीएसआर के जरिए विश्व में सबसे बड़ा चरखा बनाया है. इस चरखे को बनाने में 1250 किलोग्राम प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल किया है. जिसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया गया.
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नोएडा में प्लास्टिक वेस्ट का प्रयोग सिर्फ गांधी जी चरखा बनाने में नहीं, बल्कि इससे बौद्ध स्तूप, बनारस के घाट, ताजमहल भी बनाया गया. जिसे एक्सप्रेस वे के साथ बने ग्रीन बेल्ट और ग्रीन लूप में रखे गए है. ये अब सेल्फी पॉइंट बन चुके हैं. लखनऊ, आगरा जाने वाले लोग एक्सप्रेस वे पर इनकी सुंदरता को देख सकते हैं.
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कबाड़ से जुगाड़ की तर्ज पर ही नोएडा में बनाए जाने वाले 4डी जू पार्क में 500 टन कबाड़ का प्रयोग किया जाएगा. इस पार्क का नाम वेस्ट टू वंडर भी रखा गया है. यहां इससे कई तरह की कलाकृतियां बनाई जाएंगी. साथ यहां बनाए जाने वाले जंगली जानवरों में वेस्ट का प्रयोग होगा, हालांकि, ये तकनीकी में 4डी आपरेटड होंगे.
First Published:
February 03, 2023, 17:32 IST