Droupadi Murmu Botswana Visit: नृत्‍य से जागती हैं आत्‍माएं, गाय की होती है पूजा; कालाहारी के 'दिल' की कहानी

5 hours ago

Droupadi Murmu: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को बोत्सवाना की राजधानी गाबोरोन में औपचारिक स्वागत समारोह के साथ अपने ऐतिहासिक राजकीय दौरे की शुरुआत की. इस मौके पर बोत्सवाना के राष्ट्रपति डुमा गिडियॉन बोको भी मौजूद रहे. राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा ऐतिहासिक है क्योंकि यह बोत्सवाना की यात्रा पर किसी भारतीय राष्ट्रपति का पहला राजकीय दौरा है. यह यात्रा उनके अफ्रीका के दो देशों अंगोला और बोत्सवाना के दौरे का हिस्सा है, जो भारत और अफ्रीका के बीच गहराते संबंधों को दर्शाता है.

इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने अंगोला के दौरे (8 से 11 नवंबर) के बाद गाबोरोन के लिए रवाना हुईं. अंगोला में उन्होंने राष्ट्रपति जोआं लोरेन्सो के आमंत्रण पर कई अहम बैठकों में हिस्सा लिया और वहां अंगोला की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ समारोह में भी शामिल हुईं. अंगोला दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, स्वास्थ्य, स्पेस टेक्नोलॉजी और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में सहयोग को लेकर चर्चा हुई. भारत ने अंगोला की रक्षा व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट को मंजूरी दी है.

अफ्रीका का सबसे खुशहाल देश

बोत्सवाना अफ्रीका के सबसे खुशहाल देशों में से है. बोत्सवाना का लगभग 70 फीसद हिस्सा कालाहारी रेगिस्तान से ढका हुआ है.  30 सितंबर 1966 को इसे आजादी मिली और इसका नाम 'Botswana' रखा गया. आजादी मिलने के बाद यह अफ्रीका के सबसे स्थिर औक लोकतांत्रिक देशों में शुमार किया जाता है.

Add Zee News as a Preferred Source

हीरे पर टिकी है बोत्सवाना की अर्थव्यस्था

बोत्सवाना की अधिकतर अर्थव्यवस्था हीरे यानी डायमंड पर टिकी हुई है. यहां बड़ी तादाद में हीरा पाया जाता है. देश की लगभग 35–40% GDP हीरे के निर्यात से आती है. इसके अलावा एक अर्थव्यस्था का बड़ा हिस्सा खेती और पर्यटन पर निर्भर है. अफ्रीका में सबसे कम भ्रष्टाचार और उच्च प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में गिना जाता है. एक जानकारी के मुताबिक रूस के बाद बोत्सवाना दूसरा सबसे बड़ी हीरा उत्पादक देश है.  कहा जाता है कि पूरी दुनिया के उत्पादन में बोत्सवाना का योगदान लगभग 20 से 25 फीसद है.

बोत्सवाना की अनोखी परंपरा ट्रांस-डांस

बोत्सवाना की सबसे पुरानी जनजाति मानी जाती है सान (San) या बासार्वा (Basarwa). जिनकी जिंदगी कुदरत के इर्द-गिर्द घूमती है. इनका सबसे अनोखी परंपरा है 'ट्रांस डांस', जिसमें लोग पूरी रात नाचते-गाते हैं ताकि आत्माओं से संवाद कर सकें या बीमारियों को दूर किया जा सके. माना जाता है कि इस नृत्य के दौरान नर्तक एक ‘ध्यान-जैसी’ अवस्था में चले जाते हैं. सान जनजाति के लोग आज भी पानी को शुतुरमुर्ग के अंडों में भरकर रखते हैं और रेगिस्तान में कई दिनों तक जीवित रहते हैं.

बोत्सवाना की बहुसंख्यक आबादी

देश की बहुसंख्यक आबादी त्सवाना (Tswana) जनजाति की है, जिससे देश का नाम 'बोत्सवाना' पड़ा. इनका समाज क्लानों और टोटमों में बंटा है. हर क्लान का एक प्रतीक जानवर होता है, जिससे वे अपनी पहचान जोड़ते हैं. त्सवाना समाज में गाये सिर्फ संपत्ति नहीं बल्कि प्रतिष्ठा का प्रतीक हैं. विवाह के समय दहेज में गाये दी जाती हैं और यह रिवाज आज भी सम्मानपूर्वक निभाया जाता है. 

Read Full Article at Source