Last Updated:December 09, 2025, 22:38 IST
Influencer Market : इंफ्लूएंशर्स का बाजार देश में 10 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का पहुंच चुका है. लेकिन, कमाल की बात ये है कि इसमें से सिर्फ 25 फीसदी मार्केट ही ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर का है.
इंफ्लूएंशर्स के लिए देश में बाजार तेजी से बढ़ रहा है. नई दिल्ली. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इंफ्लूएंशर्स की बाढ़ सी दिखती है. यूट्यूब से लेकर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हजारों की संख्या में इंफ्लूएंशर्स की जमात है. लेकिन, क्या आपको पता है कि देश में इंफ्लूएंशर्स का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है. इंफ्लूएशंर्स के मार्केटिंग का डाटा जुटाने वाली फर्म KlugKlug का कहना है कि देश में इसका बाजार 10 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा पहुंच चुका है.
KlugKlug प्लेटफॉर्म के को-फाउंडर और सीईओ कल्यान कुमार का कहना है कि सबसे ज्यादा कमाई शार्प कंटेंट में होती है. इस सेक्टर का बाजार करीब 3 से 4 हजार करोड़ रुपये के आंकड़े को भी पार कर चुका है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजार का सिर्फ 25 फीसदी हिस्सा ही व्यवस्थित और ऑर्गेनाइज्ड चैनल के जरिये चलता है. बाकी 75 फीसदी बाजार सीधे तौर पर ब्रांड और क्रिएटर्स के बीच चलता है.
कितना होता है कुल कारोबार
रिपोर्ट के अनुसार, कंटेंट क्रिएटर की फील्ड इकनॉमी में पारंपरिक ट्रैकिंग तरीकों से आगे जाकर काम करती है. इस फील्ड में हजारों माइक्रो और नैनो-इंफ्लूएशंर्स बड़े पैमाने पर ब्रांड के निवेश को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके साथ ही 20 से ज्यादा एजेंसियां हर साल 20 करोड़ रुपये से अधिक का रेवेन्यू जेनरेट करती हैं. हालांकि, यह सिर्फ संगठित क्षेत्र को ही दर्शाता है, जो कि व्यापक इंफ्लूएंशर्स के मार्केटिंग इकोसिस्टम का बहुत छोटा सा हिस्सा है.
ब्रांड खर्च कर रहे मोटा पैसा
देश में इस समय डायरेक्ट टू कंज्यूमर का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. इंफ्लूएंशर्स की मदद से इस सेक्टर के खर्च करने के तरीकों में भी बदलाव आ रहा है. मौजूदा समय में 100 से ज्यादा ब्रांड हर साल 20 करोड़ से ज्यादा पैसे इनहाउस क्रिएटर टीमों के जरिये खर्च कर रहे हैं. यह ब्रांड किसी एजेंसी का सहारा नहीं लेते हैं. इसके अलावा प्रोडक्ट की सीडिंग और बार्टर जैसे सहयोग की वजह से मोटी कमाई वाले इंफ्लूएंशर्स तेजी से बढ़ रहे हैं.
सामने नहीं आते सही आंकड़े
क्लग के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर और को-फाउंडर वैभव गुप्ता ने बताया कि भारत में इंफ्लूएंशर्स मार्केटिंग के आंकड़ों में बड़ा अंतर दिखाई देता है. यह अंतर इसलिए है, क्योंकि अभी यह इंडस्ट्री सीमित है और सिर्फ एजेंसियों के दिखाए आंकड़ों पर ही निर्भर करती है. यही वजह है कि एजेंसियों का आंकड़ा सही तस्वीर नहीं दिखाता है. भारत का इंफ्लूएंशर्स बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जो अभी तो 10 हजार करोड़ का है, लेकिन वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा दिख सकता है.
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प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 09, 2025, 22:38 IST

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